Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Aug, 2019 08:14 AM
सावन की रिम-झिम बरसात की बौछारों से हर मन खिल उठता है। सौभाग्य और श्रृंगार को समर्पित सावन में मनाई जाने वाली ‘हरियाली तीज’ का इंतजार हर सुहागन को रहता है इसलिए वे इस पर्व की तैयारी कुछ दिन पूर्व ही शुरू कर देती हैं।
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सावन की रिम-झिम बरसात की बौछारों से हर मन खिल उठता है। सौभाग्य और श्रृंगार को समर्पित सावन में मनाई जाने वाली ‘हरियाली तीज’ का इंतजार हर सुहागन को रहता है इसलिए वे इस पर्व की तैयारी कुछ दिन पूर्व ही शुरू कर देती हैं। सोलह श्रृंगार के साथ हाथों पर मेंहदी सजाना और पैरों पर आलता लगाया जाता है।
क्यों मनाई जाती है तीज: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए तीज का व्रत करती हैं। पौराणिक परंपरा के अनुसार तीज को सभी पर्वों की शुरूआत का प्रतीक माना जाता है। एक कहावत है ‘आ गई तीज बिखेर गई बीज, आ गई होली भर गई झोली’ यानि कि तीज के बाद त्योहारों का आगमन जल्दी होता है और होली तक यह सिलसिला चलता है।
कौन रखती है व्रत: शिव पुराण के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्मों तक कठिन तप किया। उनके 108 वें जन्म में इसी व्रत के प्रभाव से भगवान शिव ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाया। विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी आयु और सुखी विवाहित जीवन पाने के लिए यह व्रत करती हैं। व्रत करके मां पार्वती की पूजा-अर्चना करके उन्हें सुहाग के प्रतीक चिन्ह भेंट किए जाते हैं। अविवाहित लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं।
हरियाली तीज की पंरपरा: नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाला सावन विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि नवविवाहित लड़कियां सावन में अपनी ‘सास के माथे नहीं लगती’ यानि कि उनके सामने आने पर झगड़ा हो सकता है इसलिए उन्हें मायके भेज दिया जाता है।
मायके से ससुराल में ‘कोथली’ ले जाने का रिवाज होता है। जिसमें भाई अपनी बहन के लिए मेहंदी, चूडिय़ां, घेवर मिठाईयां और अन्य उपहार लेकर जाता है। जिसका हर बहन को बेसब्री से इंतजार रहता है। वहीं नवविवाहित जब मायके घर आई हो तो उसकी सास ‘सिंधारे’ के रूप में उसे हरे-लाल रंग के कपड़े, आभूषण, श्रृंगार सामग्री, मिठाईयां और अन्य उपहार देती है।
व्रत रखकर क्या न करें : हरियाली तीज का व्रत रखकर महिलाओं को पति की बुराई करने से बचना चाहिए।
झूठ व दुर्व्यवहार करने से मन अशांत रहेगा इसलिए झूठ बोलकर किसी का दिल न दुखाएं।
किसी की भी निंदा-चुगली, गाली-गलौज न करें।
हरियाली तीज पर बढ़ाएं पति से प्यार : शादी के बाद किसी छोटी सी बात पर पति से कहासुनी हो जाए तो पति-पत्नी के रिश्ते में दूरियां बढ़ जाती हैं। अगर ऐसी दूरियों को समय रहते कम न किया जाए तो रिश्ता टूटने की कगार तक भी पहुंच सकता है। सावन की बौछारे और मदमस्त मौसम रिश्तों में पनपी ऐसी भड़ास को शांत करके पति-पत्नी के प्यार को फिर से जवां बना देता है।
आएं जानें, कौन से उपाय रिश्तों में भर सकते हैं खुशियां: ‘हरियाली तीज’ का व्रत करके मां पार्वती से सच्चे दिल से पति का प्यार पाने की कामना करें। सच्चे दिल से की गई प्रार्थना जरूर स्वीकार होती है।
भगवान शिव को बेलपत्र, अबीर-गुलाल अर्पित करें। मां पार्वती को चांदी के पात्र में सिंदूर चढ़ाएं और वैवाहिक सुख की प्रार्थना करें।
सुखी स्वस्थ दाम्पत्य के लिए स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है लेकिन अगर पति-पत्नि का स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है तो ‘हरियाली तीज’ पर शाम को भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान शिव का जल से अभिषेक करते हुए उनसे जीवनसाथी के उत्तम स्वास्थ्य की प्राथना करें।
कामकाज के सिलसिले में अगर पति-पत्नि एक-दूसरे से दूर रहते हैं तो भगवान शिव को पीला और मां पार्वती को लाल वस्त्र भेंट स्वरूप चढ़ाएं।
मनचाहा वर पाने के लिए अगर कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत करें तो मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए उन्हें श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करें। हाथों में लाल-हरे रंग की चूड़ियां सजाएं और हाथों में मेंहदी जरूर लगवाएं।
भगवान शिव और मां पार्वती को गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं और फिर उसे अपनी जेब अनुसार बांटे और स्वयं परिवार के साथ मिल-बांट कर खाएं। पति के प्रेम के साथ ही परिवार से भी प्रेम बढ़ेगा।
प्रस्तुति : शीतल जोशी
email: joshisheetal25@gmail.com