Edited By vasudha,Updated: 08 Aug, 2019 12:23 PM
क्या चांद पर जीवन पहुंच चुका है? इसे लेकर अंतरिक्ष विज्ञानियों में चर्चा छिड़ी है। अगले कुछ वर्षों में जब इंसान दोबारा चांद पर पहुंचेगा तो उसे वहां टार्डीग्रेड्स मिल सकते हैं। ये टार्डीग्रेड्स चांद के जीव नहीं हैं, असल में यह जीवन धरती से ही गया...
नेशनल डेस्क: क्या चांद पर जीवन पहुंच चुका है? इसे लेकरcमें चर्चा छिड़ी है। अगले कुछ वर्षों में जब इंसान दोबारा चांद पर पहुंचेगा तो उसे वहां टार्डीग्रेड्स मिल सकते हैं। ये टार्डीग्रेड्स चांद के जीव नहीं हैं, असल में यह जीवन धरती से ही गया है।
क्या हैं टार्डीग्रेड्स
इसे वाटर वियर भी कहा जाता है। ये बहुत ही सूक्ष्म जीव हैं, जो सभी तरह के वातावरण में जिंदा रह सकते हैं। ये धरती पर गहरे समुद्रों से लेकर ऊंचे पहाड़ों तक पाये जाते हैं। प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि डीप फ्रोजन अवस्था में रखने पर ये तीस साल बाद भी जिंदा मिले। इसके अलावा अंतरिक्ष रेडिएशन का भी इन पर असर नहीं, अंतरिक्ष में ले जाने पर भी ये काफी संख्या में जीवित ही पाये गए।
किस हाल में होंगे
आर्क मिशन फाउंडेशन के संस्थापक नोवा स्पिवेक के अनुसार संस्था धरती के बैकअप प्लान के लिए काम करती है। इजराइली यान से आर्क मिशन ने पहली चंद्र लाइब्रेरी भेजी थी। इसमें मानव डीएनए के सैंपल और हजारों जमे हुए टार्डीग्रेड्स भेजे गए। यह पूरा सामान चांद पर ही क्रेश हुआ। हमने काफी मात्रा में डीएनए भेजा है, जितना कि जीवन को फिर शुरू करने के लिए जरूरी है। मगर क्रेश लैंडिंग की वजह से यह सब हमारी निगरानी में नहीं बचा। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि अब वहां वाटर वियर्स सही सलामत नहीं होंगे।
कैसे पहुंचे चांद पर
गत 22 फरवरी को इजराइल एयरोस्पेस ने चंद्रमा पर अपना यान बेयरशीट भेजा था। गत 11 अप्रैल को यह चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान क्रेश हो गया था। इस यान में इजराइल ने एक टाइम केप्सूल भी रखा था। इसमें अंग्रेजी भाषा के विकीपीडिया सहित 3 करोड़ पेज का धरती की जानकारियों से संबंधित डाटा भेजा गया था। इसके साथ ही टार्डीग्रेड्स के फ्रीज जेनेटिक सेंपल भी रखे गए थे। लोगों का मानना है कि डे टार्डीग्रेड्स चांद पर अभी जीवित हो सकते हैं।