Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 05:16 PM
पुलिस और डॉक्टरों के काम करने के तरीके पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की बेंच ने इसे ‘ट्रैजिडी ऑफ एरर्स’ बताया
भोपालः मध्य प्रदेश की राजधानी में हुए गैंगरेप का स्वतः संज्ञान लेते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने पुलिस और डॉक्टर्स के रवैये को लापरवाही भरा बताते हुए इसे ‘ट्रैजिडी ऑफ एरर्स’ बताया। साथ ही सरकार से दो हफ्ते में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने को कहा है। बता दें कि 31 अक्टूबर की शाम एक स्टूडेंट से हबीबगंज स्टेशन के पास चार लोगों ने गैंगरेप किया था।
सोमवार को हाईकोर्ट ने भोपाल गैंगरेप मामले की सुनवाई की। पुलिस और डॉक्टरों के काम करने के तरीके पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की बेंच ने इसे ‘ट्रैजिडी ऑफ एरर्स’ बताया। सरकार की तरफ से पेश हुए एडवोकेट जनरल पुरुषेंद्र कौशल से 15 दिन के अंदर एक्शन लेकर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं। गैंगरेप मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को होनी है।
पीडि़ता से 31 अक्टूबर की शाम गैंगरेप हुआ। पुलिस ने 24 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की। इसके बाद जब पीडि़ता का अस्पताल में मेडिकल कराया गया तो उसकी रिपोर्ट गलत दे दी गई। पहली मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया कि पीड़िता ने सहमति से संबंध बनाए। मीडिया में रिपोर्ट लीक हो गई तो अगले दिन दूसरी रिपोर्ट तैयार की गई। इसमें कहा गया कि वो गैंगरेप का शिकार हुई।
इस पर हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसरों को नोटिस जारी किए हैं। सरकार ने हाईकोर्ट में माना कि इस मामले में गलती हुई। सरकार ने कहा कि उसने कुछ अफसरों को सस्पेंड किया है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह कार्रवाई तो दबाव में की गई है। इस हाईकोर्ट ने भोपाल कोर्ट में हर रोज इस मामले की सुनवाई करने को कहा। उच्च न्यायालय ने सरकार से यह भी कहा कि जिन अफसरों पर कार्रवाई की गई है, उनकी चार्जशीट भी पेश की जाए।