Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Mar, 2019 12:50 PM
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का रास्ता अपनाने को कहा है। न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ध्यस्थता के लिए मामले को भेजने पर दलीलें पूरी हो चुकी है।
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का रास्ता अपनाने को कहा है। न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ध्यस्थता के लिए मामले को भेजने पर दलीलें पूरी हो चुकी है। आदेश सुरक्षित रख लिया गया है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल थे। वहीं कोर्ट के आदेश के बाद निर्मोही अखाड़ा जैसे हिंदू संगठनों ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक एवं न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी के नाम मध्यस्थ के तौर पर सुझाए जबकि स्वामी चक्रपानी धड़े के हिंदू महासभा ने पूर्व प्रधान न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर एवं न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए.के. पटनायक का नाम प्रस्तावित किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुस्लिम पक्षकारों के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि हमने भी कोर्ट में मध्यस्थता के लिए नाम दे दिए हैं। हालांकि, उन्होंने कौन से नाम दिए हैं यह बताने से इंकार कर दिया। मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर इन नामों को सार्वजनिक किया जाएगा। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुगल शासक बाबर ने जो किया उसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं और उसका सरोकार सिर्फ मौजूदा स्थिति को सुलझाने से है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका मानना है कि मामला मूल रूप से तकरीबन 1,500 वर्ग फुट भूमि भर से संबंधित नहीं है बल्कि धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह मुद्दे पर लोगों की भावनाओं’ ’और देश की राजनीति पर होने वाले असर से वाकिफ है।