हांगकांग मुद्दे ने चीन के खिलाफ एकजुट की दुनिया

Edited By Pardeep,Updated: 18 Jul, 2020 04:23 AM

hong kong issue united the world against china

चीन द्वारा हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्र सुरक्षा कानून के बहाने दुनिया भर के देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक तरफ आस्ट्रेलिया और कनाडा ने इस मुद्दे को लेकर चीन के साथ की गई प्रत्यर्पण संधियों को रद्द किया है तो दूसरी तरफ....

न्यूयार्क(विशेष) : चीन द्वारा हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्र सुरक्षा कानून के बहाने दुनिया भर के देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक तरफ आस्ट्रेलिया और कनाडा ने इस मुद्दे को लेकर चीन के साथ की गई प्रत्यर्पण संधियों को रद्द किया है तो दूसरी तरफ यू.के. ने इसी बहाने चीन की कंपनी हुवावेई को ब्रिटेन के 5जी नैटवर्क से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि यू.के. ने हुवावेई को ब्रिटेन से बेदखल करने के पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया, लेकिन माना जा रहा है कि ब्रिटेन भी चीन द्वारा हांगकांग में दिए गए धोखे के कारण गुस्से में है। 

ब्रिटेन अपने अगले कदम के तौर पर चीन से होने वाले अन्य आयात पर पाबंदियां लगाने की भी सोच रहा है। चीन के खिलाफ ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और कनाडा ही नहीं हैं बल्कि यूरोपियन यूनियन भी अगले हफ्ते हांगकांग को किया जाने वाला निर्यात बंद कर सकती है। यूरोपीय देशों से हांगकांग को बंद किया जाने वाला निर्यात रक्षा क्षेत्र से संबंधित है और यह देश भी हांगकांग को मेन लैंड चाइना के हिस्से के तौर पर देख रहे हैं। 

हांगकांग के राष्ट्र सुरक्षा कानून पर क्यों है इतना गुस्सा
दरअसल, साम्राज्यवाद के दौर में हांगकांग भी किसी वक्त ब्रिटेन के अधीन हुआ करता था और 1997 में ब्रिटेन ने हांगकांग को आजादी दी थी। आजादी के दौरान ब्रिटेन और चीन में समझौता हुआ था कि चीन हांगकांग को अगले 50 साल तक स्वायत्तता देगा।

 इस स्वायत्तता के चलते हांगकांग में लोगों को इंटरनैट फ्रीडम के अलावा फ्रीडम ऑफ स्पीच की भी सुविधा थी। इसके साथ ही हांगकांग के लोगों को स्वतंत्र न्यायपालिका की भी सुविधा थी, लेकिन चीन द्वारा हांगकांग पर राष्ट्र सुरक्षा कानून थोपे जाने के बाद हांगकांग के लोगों से ये सारे अधिकार छिन गए हैं। यह कानून 1 जुलाई से लागू किया गया, क्योंकि 1997 में ब्रिटेन ने इसी दिन हांगकांग को स्वायत्तता दी थी। ब्रिटेन अब इस राष्ट्र सुरक्षा कानून को 1997 में हुए समझौते का उल्लंघन बता रहा है, जिसके तहत हांगकांग के लोगों को 50 साल के लिए स्वायत्तता दी जानी थी। इसी कारण ब्रिटेन ने हांगकांग के 30 लाख लोगों को नागरिकता देने की पेशकश भी कर दी। 

हांगकांग ने किया आग में घी का काम
साऊथ चाइना-सी में चीन की गुंडागर्दी, चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और चीन की गलत व्यापारिक नीतियों के कारण पहले ही चीन कई देशों के निशाने पर था, लेकिन हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्र सुरक्षा कानून ने चीन के प्रति इस गुस्से की आग में घी का काम किया और तमाम देश चीन के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। अमरीका ने इस मामले में पहल करते हुए सबसे पहले चीनी कंपनी हुवावेई के कर्मचारियों पर वीजा पाबंदियां लगाईं और इसकी घोषणा खुद अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने की। इसके साथ ही यू.के. ने भी चीन पर धावा बोलते हुए चीनी कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 

चीन बोला- हांगकांग अंदरूनी मामला
इस पूरे मामले में चीन ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि हांगकांग में लागू किया गया राष्ट्र सुरक्षा कानून चीन का अंदरूनी मामला है और यह कानून हांगकांग के लोगों के हित में है। ग्लोबल टाइम सहित चीन का तमाम मीडिया भी हांगकांग में लागू किए गए कानून को चीन का अंदरूनी मामला बता कर तीसरे पक्ष के दखल से इंकार कर रहा है।

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