होटल अर्पित अग्निकांड: घटना के बाद एक्शन में दिल्ली पुलिस

Edited By Anil dev,Updated: 14 Feb, 2019 11:08 AM

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जिला प्रशासन और दिल्ली पुलिस लापरवाही बरतने वाले होटलों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहा है। यदि जांच के दौरान किसी भी होटल में लगाए गए सेफ्टी यंत्र कम पाई गई तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): जिला प्रशासन और दिल्ली पुलिस लापरवाही बरतने वाले होटलों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहा है। यदि जांच के दौरान किसी भी होटल में लगाए गए सेफ्टी यंत्र कम पाई गई तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। इसमें ज्यादातर वह होटल शामिल होंगे जो मोटा किराया लेने के बाद भी लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। बुधवार सुबह फायर की 12 अधिकारियों की 6 टीमों ने होटलों की छानबीन शुरू कर दी है। लगभग 380 होटलों की जांच के बाद इसकी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को सौंप जाएगी।  सूत्रों की मानें तो फायर द्वारा की गई चेकिंग में 12 होटलों में कई खामियां पाई गईं जिनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया।

करोलबाग में शॉपिंग करने आते हैं लोग
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि टीम द्वारा जांच की जाएगी कि फायर विभाग से एनओसी लेने के बाद होटलों में क्या-क्या रिकंस्ट्रक्शन किया और क्या बदलाव किए। क्या उन्होंने खिड़की-दरवाजे चेंज किए, जो वेंटिलेटर की जगह थी। यही इमरजेंसी के तौर पर भी इस्तेमाल हो जाते हैं। क्या उसमें भी बदलाव किया गया,जबकि विभाग द्वारा जो एनओसी दी जाती है वह सिर्फ तीन वर्ष के लिए वैध रहती है। इसी के दौरान संबंधित होटन बिना परमिशन लिए चुपचाप होटल में रिकंट्रक्शन कर लेते है,जबकि इन सभी बातों की जानकारी हादसे के बाद मिलती है। इन होटल के सामने 10 फीट से भी ज्यादा की जगह नहीं है। ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा या आगजनी होती है तो फायर डिपार्टमेंट की गाडिय़ां मौके पर नहीं पहुंच सकेंगी। वहीं रेस्क्यू करने के लिए भी इलाके में इतनी जगह नहीं है कि विभाग की गाडिय़ां वहां पहुंच सकें। करोलबाग में लोग शॉपिंग करने आते हैं। लेकिन यहां रोड पर ही लंबी कतार वाली पार्किंग की वजह से लोगों को बेहद परेशानी होती है। 

एमसीडी सीधे तौर पर जिम्मेदार
सरकार की प्रारंभिक जांच और क्राइम ब्रांच की जांच में आया है कि नार्थ एमसीडी के अधिकारियों ने इसमें लापरवाही बरती। इस होटल को पांच मंजिल बनाने की अनुमति ताक पर रख कर इंजीनियरों ने दी। यही नहीं ऊपर के शेड बनाने की अनुमति तत्कालिक डीसी ने एससीडी के आयुक्त के कहने पर दे दी। जबकि नियमत: ऐसा नहीं होना चाहिए। यही नहीं बिल्डिगं में 45 कमरेें थे, जबकि एमसीडी के नियमों के तहत यहां महज 25 कमरे ही बनाए जा सकते थे। इसके अलावा जांच में आया है कि इमरजेंसी एक्जिट पर पूरी तरह से अतिक्रमण था, लेकिन एमसीडी अधिकारियों को ये अतिक्रमण नहीं दिखा। मामले में क्राइम ब्रांच ने इस पर एमसीडी से जानकारी मांगी है। 

ताक पर रख दिए थे नियम कायदे
करोलबाग के होटल अर्पित पैलेस में कारोबार के लिए सभी नियम कायदे कानूनों को ताक पर रख दिया गया था। छत पर ओपन रेस्त्रां तो चल ही रहा  था, साथ ही होटल में किसी तरह का कोई पैनिक बटन या फिर इमरजेंसी गेट की ओर अंकित करते साइनेज डिस्पले भी नहीं किए गए थे। यह सब खुलासे पुलिस की तहकीकात में हुए है, इन सब खामियों का जिक्र भी दर्ज एफआईआर में किया गया है। 

गिड़गिड़ाने के बाद मिला मृतकों का सामान
बुधवार को मृतकों के परिजन उनका सामान लेने होटल पहुंचे। मृतकों के परिजन पुलिस अधिकारियों से सामान लेने की गुहार लगा रहे थे। पुलिस ने जांच के लिए होटल को सील किया हुआ था। काफी देर गिड़गिड़ाने के बाद पुलिस अधिकारियों ने कुछ लोगों को सामान ले जाने की इजाजत भी दी। बाकी सभी लोगों को दो-चार दिन बाद आने की बात बताई जा रही थी। हादसे में हताहत हुए लोगों के परिजनों का कहना था कि उनकी बुधवार रात को ही फ्लाइट है, उन्हें शव लेकर अपने-अपने राज्य जाना है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच के बाद पता चला कि होटल में कुल 46 कमरों से 35 में करीब 60 गेस्ट रुके हुए थे। इसके अलावा होटल के करीब 12 कर्मचारी रात के समय ड्यूटी पर मौजूद थे। होटल से मिले रजिस्टर व अन्य सामान की मदद से मामले की छानबीन की जा रही है। होटल के दोनों मैनेजर राजेंद्र कुमार व विकास कुमार से पूछताछ की जा रही है। होटल में उस रात मौजूद कर्मचारियों की लिस्ट बनवाई जा रही है। बाकी फरार हुए होटल के कर्मचारियों की तलाश की जा रही है।


 

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