Edited By Monika Jamwal,Updated: 14 May, 2021 11:17 PM
एक तो लॉकडाउन के चलते काम-काज नहीं मिल रहा है और दूसरे ऐसे सख्त समय में सर की छत भी छिन जाए तो जीना दुश्वार हो जाता है।
साम्बा (संजीव): एक तो लॉकडाउन के चलते काम-काज नहीं मिल रहा है और दूसरे ऐसे सख्त समय में सर की छत भी छिन जाए तो जीना दुश्वार हो जाता है। जिले के पुरमंडल ब्लॉक के लवली गांव (उत्तरवहनी) के रहने वाले सूरम चंद का घर, जोकि लोहे की शीटों से बना था, गत रात तेज आंधी तूफान से उड़ गया। सूरम चंद के अनुसार रात को आए इस तूफान से उस का परिवार उस समय बाल-बाल बच गया जब तेज तूफ़ान उन के घर की छत को अपने साथ उड़ा ले गया। गनीमत रहा कि यह लोहे की शीटें किसी के सर पर नहीं आ गिरी अन्यथा जानी नुक्सान भी हो सकता था।
सूरम चंद ने बताया कि वह एक फैक्ट्री में काम करता है और 2014 में उस का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्र्तगत चयनित किया गया था। उसे घर बनाने के लिए 25 हजार रूपए की सरकारी मदद भी मिली थी जिससे उसनें अपने मकान की नींव रखी लेकिन गरीबी के कारण वह आगे का काम पूरा नहीं कर पाया और आज तक अपने पुराने कच्चे मकान में ही रह रहा था। लेकिन तूफान में छत उड़ जाने से अब उस का कोई आसरा नहीं है। उसने जिला प्रशासन से मांग की है कि यदि विभाग मकान की बकाया राशि का भुगतान कर देता है तो वह अपने रहने के लिए मकान बना सकेगा अन्यथा उसे अपने परिवार को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।