कोरोना से जंग: कब तक कोरोना से लड़ती रहेगी दुनिया, आखिर कब मिलेगी इस मर्ज की दवा?

Edited By Chandan,Updated: 14 Apr, 2020 08:18 PM

how world continue to fight with corona when will we get the medicine

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए दुनियाभर के साइंटिस्ट्स एक ऐसी दवा की खोज में जुटे हैं जिससे पूरी दुनिया को कोरोना बीमारी से बचाया जा सके। दुनियाभर में कोरोना के 1,936,695 संक्रमित मामले सामने आ चुके हैं जिनमें अब तक 120,567 लोगों की मौत हो...

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए दुनियाभर के साइंटिस्ट्स एक ऐसी दवा की खोज में जुटे हैं जिससे पूरी दुनिया को कोरोना बीमारी से बचाया जा सके। दुनियाभर में कोरोना के 1,936,695 संक्रमित मामले सामने आ चुके हैं जिनमें अब तक 120,567 लोगों की मौत हो चुकी है।

इस बीच हर देश यही सोच रहा है कि आखिर कब तक कोरोना का टीका/वैक्सीन विकसित किया जा सकेगा। इस बारे में हाल ही में कुछ रिपोर्ट सामने आई हैं आइए उनपर एक नजर डालते हैं।

आने वाले साल तक मिलेगी दवा?
टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना की दवा को प्रोफेसर सारा गिलबर्ट की तरफ से बताया गया है कि कोरोना की यह दवा आने वाले सितंबर तक तैयार हो सकती है। इस दवा को लेकर गिलबर्ट 80% इस बात का यकीन है कि यह दवा/वैक्सीन काम करेगी।

लेकिन एक अनुमान को देखते हुए गिलबर्ट यह भी कहते हैं कि जिस तरह से लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं उससे नई जानकारियां मिलती जा रही हैं। जिससे उन्हें इसे दवा को विकसित करने में मदद मिल रही है। उनका मानना है कि अगर ये दवा कारगार साबित हुई तो यह किसी अजूबे से कम नहीं होगा।

वैक्सीन पर हो रहा है काम
डब्ल्यूएचओ से मिली जानकारी के अनुसार, दुनिया भर में 70 कंपनियां और दूसरी मेडिकल सस्थाएं कोरोना के लिए दवा/वैक्सीन बनाने का काम कर रही हैं। जिनमें से 3 दवाओं के ट्रायल किया जा चुका है। जबकि इस बारे में दा गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में 80 इंस्टीट्यूट कोरोना की दवा पर काम कर रहे हैं जिनमें से 5 टीकों का ट्रायल हो चुका है।

भारत भी है शामिल
बिज़नेस टुडे की रिपोर्ट की माने तो भारत में भी इस दवा पर काम किया जा रहा है। भारत में हैदराबाद बेस्ड इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड ने ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर इससे इस दवा पर रिसर्च का काम करने का अनुबंध किया है। जबकि इससे पहले भारत की सिरम इंस्टिट्यूट, ज़ायडस कैडिल और भारत बायोटेक कंपनी ने भी इस दवा से सम्बंधी शोध कार्य करना शुरू कर दिए थे।

वहीँ, इस बारे में मॉडर्ना, डिस्ट्रीब्यूटेड बायो, बायोएनटेक व पीफाइज़र, पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी, जॉनसन एंड जॉनसन इस दवा को बनाने से जुड़े तमाम शोध कार्य कर रही हैं। इसके साथ ही कुछ और संस्थाएं हैं जो इन शोष कार्यों में मदद कर रही हैं। वैसे उम्मीद की जा रही है कि जल्द आने वाले कुछ महीनों में कोरोना की दवा तैयार कर ली जाएगी। लेकिन यह सिर्फ अभी एक उम्मीद और एक अंदेशा भर है। फ़िलहाल कुछ पुराने मर्जों की दवाएं कोरोना को रोकने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं।

 

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