Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 01 Aug, 2019 04:10 PM
जापान अपनी तकनीक के लिए विश्व प्रसिद्ध है। अपनी भौगोलिक विषमताओं से पार पाते हुए जापान ने तकनीक के हर क्षेत्र में अपना एक अलग मुकाम बनाया है।
इंटरनैशनल डैस्कः जापान अपनी तकनीक के लिए विश्व प्रसिद्ध है। अपनी भौगोलिक विषमताओं से पार पाते हुए जापान ने तकनीक के हर क्षेत्र में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। इसी क्रम में जापान सरकार ने विवादास्पद स्टेम सेल शोध को मंजूरी दे दी है। इस तकनीक के माध्यम से मानव-पशु वर्णसंकर को चुहें के भ्रूण में विकसित किया जाएगा। इसे सरोगेट एनिमल का नाम दिया गया है। यह शोध कार्य यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो में विश्व प्रसिद्ध आनुवंशिक वैज्ञानिक हिरोमित्सु नकाउची के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम करेगी।
इस तकनीक के पक्षधर वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव अंग उगाने की दिशा में यह पहला कदम है। इस से विकसित अंग को जरूरत के समय में मानव शरीर में प्रत्यारोपित किए जा सकेगा। लेकिन कुछ लोग जापान सरकार की इस पहल का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसा करके वह भगवान के कार्य में दखल दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस तकनीक का दुरुपयोग हो सकता है और सभवतः आधे मानव और आधे जानवर के रूप में वैज्ञानिक किसी को विकसित भी कर सकते हैं।
इस तकनीक के दुरुपयोग होने की आशंका के चलते दुनिया भऱ ने हाल के वर्षों में इस पर लंबे समय तक शोध प्रक्रिया अपनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। खुद जापान सरकार ने भी 14 दिनों की विकास अवधि से परे जाने पर रोक लगाई हुई थी। यानी वैज्ञानिक मानव-पशु वर्णसंकर को चुहें के भ्रूण में 14 दिन से ज्यादा विकसित नहीं कर सकते थे। लेकिन जापान ने इस साल मार्च में इन नियमों में ढिलाई कर दी है। नए नियम बनने के बाद नकाउची पहले आवेदक हैं जिन्हें इस शोध की अनुमति दी गई।