Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Apr, 2018 03:49 PM
पत्थरबाजों के खिलाफ सेना की ‘मानव ढाल’ के रूप में ‘पहचाने’ जाने वाले कश्मीरी युवक फारूक अहमद डार की तस्वीरें जब सामने आई थीं तो पूरे देशभर में वह सुर्खियों में आ गया था। कई लोगों ने इसकी आलोचना की थी। इस घटना को एक साल हो गया है। 9 अप्रैल,2017 को...
श्रीनगर (मीर आफताब): पत्थरबाजों के खिलाफ सेना की ‘मानव ढाल’ के रूप में ‘पहचाने’ जाने वाले कश्मीरी युवक फारूक अहमद डार की तस्वीरें जब सामने आई थीं तो पूरे देशभर में वह सुर्खियों में आ गया था। कई लोगों ने इसकी आलोचना की थी। इस घटना को एक साल हो गया है। 9 अप्रैल,2017 को कश्मीर में इंडियन आर्मी के एक मेजर ने पत्थरबाजी से बचने के लिए फारूक अहमद डार नाम के शख्स को अपनी जीप पर बांधकर 'मानव ढाल' के रूप में इस्तेमाल किया था। इस घटना के एक साल हो जाने के बाद अब शायद ही किसी को पता होगा कि फारूक कहां और कैसी जिंदगी जी रहा है।
जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद जारी
एक साल पहले तक कपड़ों पर जादू बिखेरने वाला कढ़ाई कारीगर फारूख ‘मानव ढाल’ बनाए जाने पर अब टूट चुका है। अपने जीवन को एक बार फिर से पटरी पर लाने के लिए वह जद्दोजहद कर रहा है। 28 साल का अहमद डार आज डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारी से ग्रस्त है और नौकरी की तलाश कर रहा है।
इंटरनेशनल ह्यूमन राइट फॉर्म समर्थन में आई आगे
फारूक की इस स्थिति को देखते हुए इंटरनेशनल ह्यूमन राइट फॉर्म उसके समर्थन में उतरे हैं। जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी, दिल्ली की स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष शेहला रशीद ने अहमद डार को इंसाफ देने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 9 अप्रैल को मेजर लीतुल गोगोई के नेतृत्व वाली टीम ने मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में भारी पत्थरबाजी से बचने के लिए सेना की एक जीप के बोनेट पर डार को बांध दिया था। इसके बाद से ही सेना पर भी कई सवाल खड़े किए जाने लगे थे। जिस दिन ये घटना हुई थी, उस दिन श्रीनगर लोकसभा सीट पर चुनाव होना था।