पत्नी को गुजारा भत्ता देना पति का कानूनी दायित्व, वह जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता : अदालत

Edited By rajesh kumar,Updated: 27 Mar, 2021 07:17 PM

husband cannot run away from responsibility

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत का यह आदेश सही है कि पति अपनी पत्नी को अंतरिम गुजारे भत्ते के तौर पर प्रतिमाह 20 हजार रुपये प्रदान करे।

नेशनल डेस्क: दिल्ली की एक अदालत ने अलग रह रही पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की अपील को खारिज करते हुए कहा कि विधिपूर्वक विवाह करके लाई गई पत्नी को गुजारा भत्ता देना पति का सामाजिक तथा कानूनी दायित्व है और वह अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता। हालांकि अदालत ने कहा कि चूंकि पत्नी पढ़ी-लिखी है लिहाजा उसे भी अपने लिये कोई नौकरी ढूंढनी चाहिये और घर में खाली बैठकर अपनी प्रतिभा को बर्बाद नहीं होने देना चाहिये।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत का यह आदेश सही है कि पति अपनी पत्नी को अंतरिम गुजारे भत्ते के तौर पर प्रतिमाह 20 हजार रुपये प्रदान करे। अदालत ने 25 मार्च को पारित आदेश में कहा, ''स्थापित कानून के अनुसार अपीलकर्ता (पति) विधिपूर्वक विवाह करके लाई गई पत्नी को गुजारा भत्ता देने की अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता। यह पत्नी के प्रति उसका सामाजिक तथा कानूनी दायित्व है।'' सुनवाई के दौरान व्यक्ति के वकील ने दावा किया था कि उसकी पत्नी बिना किसी कारण ससुराल से चली गई और वापस आने से इनकार कर दिया।

वकील ने कहा कि व्यक्ति 2019 से बेरोजगार है क्योंकि पढ़ाई करने के लिये उसने नौकरी छोड़ दी थी। लिहाजा निचली अदालत ने उसकी मौजूदा स्थिति तथा जिम्मेदारियों पर विचार किये बिना अंतरिम आदेश पारित किया। पत्नी के अधिवक्ता अमित कुमार ने दलील दी कि ससुराल में उसको कथित रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था, जिसके चलते उसने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और अपने भाई के साथ रहने लगी। 



 

 

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