Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Dec, 2018 04:31 PM
पत्नी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की और वह अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक पत्नी की याचिका पर यह फैसला सुनाया। दरअसल पत्नी ने बांद्रा की फैमिली कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती थी
महाराष्ट्रः पत्नी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की और वह अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक पत्नी की याचिका पर यह फैसला सुनाया। दरअसल पत्नी ने बांद्रा की फैमिली कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती थी जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पारिवारिक न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया। फैमिली कोर्ट ने महिला की रखरखाव आवेदन याचिका खारिज कर दी थी जिसको पीड़िता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी।
महिला ने कोर्ट में बताया कि उसका पति उससे अलग हो गया है। इसके बाद पति ने पत्नी की भरण पोषण की जिम्मेदारी उठाने से भी इंकार कर दिया। इस पर कोर्ट ने कहा कि भले ही लड़की के माता-पिता की अर्थव्यवस्था अच्छी क्यों न ह लेकिन पति अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता। महिला ने बताया कि वह फ्रेंच ट्यूशन पढ़ाकर अपना गुजारा करती है लेकिन उससे उसका जीवन यापन नहीं हो सकता। महिला ने कोर्ट में पति से 5 लाख रुपए महीना मेंटेनेंस दिलवाने को कहा।
इस पर महिला के पति ने कहा कि वह सिर्फ 20 हजार रुपए कमाता है। इस पर जस्टिस एमएस सोनक ने महिला से कहा कि लाइफ स्टाइल रिकॉर्ड को देखकर नहीं लगता है कि आपके पति की कमाई 4 से 5 लाख रुपए सालाना होगी। इसलिए अगर आपका पति अगर 25-30 हजार रुपए महीना कमाता है तो तो अंतरिम रखरखाव प्रति माह 75,000 रुपए आपके लिए बहुत होंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पति को पत्नी को हर महीने 75,000 रुपए देने के निर्देश दिए।