Edited By vasudha,Updated: 29 Jul, 2019 06:02 PM
बेशक भारत में पिछले एक दशक में गरीबी कम हुई है, लेकिन आज भी कुछ लोग खुशहाली में काफी पीछे हैं। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिले से बदलते भारत की खौफनाक सच्चाई गरीबी की एक भयानक तस्वीर सामने आती है...
नेशनल डेस्क: बेशक भारत में पिछले एक दशक में गरीबी कम हुई है, लेकिन आज भी कुछ लोग खुशहाली में काफी पीछे हैं। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिले से बदलते भारत की खौफनाक सच्चाई गरीबी की एक भयानक तस्वीर सामने आती है। जहां कर्ज को उतारने के लिए एक महिला बैल बनने को मजबूर हो गई। वह अपने 5 बच्चों के साथ संघर्ष भ्रा जीवन जी रही है।
दरअसल गुमानसिंह डामोर के गृह ग्राम उमरकोट के भाबोर-बीड फलिये में रहने वाली रामली को अपना कच्चा मकान बनाने के लिए रतन भाबोर को साहूकार से 1 लाख रुपए ब्याज पर लेने पड़े। अब ब्याज चुकाने के लिए गुजरात में मजदूरी कर रहा है। वही रामली की पति रतन भाबोर बैल की जगह कंधे पर हल रखकर खेत जोत रही है। दरअसल बैल खरीदने के लिए पैसे न होने के कारण वह अपने 5 बच्चों की मदद से खेतों की जुताई करती है।
अपने छोटे बच्चों की मदद से रामली 2 बीघा जमीन में सीमित साधनों में मक्का, मुंगफली, गिल्की, मिर्च आदि की खेती कर रही है। दरअसल अशिक्षित होने और जानकारी के अभाव में रामली किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले सकी। डीएम एसपीएस चौहान ने बताया कि सीईओ जनपद पेटलावद को इस मामले में निर्देश दिए गए हैं। महिला व उसके परिवार को हरसंभव सरकारी मदद दी जाएगी।