Research: कोरोना से जंग में कारगार साबित हो रही भारत की दवा, मृत्यु दर में 44 प्रतिशत कमी !

Edited By Tanuja,Updated: 14 May, 2020 01:56 PM

hydroxychloroquine could be usefull in corona virus treatment

कोरोना वायरस से जंग में दुनिया के वैज्ञानिकों की उम्‍मीदें बढ़ गई हैं। कोरोना के ईलाज में भारत की ''संजीवनी'' कारगार साबित होती दिख रही है...

इंटरनेशनल डेस्कः कोरोना वायरस से जंग में दुनिया के वैज्ञानिकों की उम्‍मीदें बढ़ गई हैं। कोरोना के ईलाज में भारत की 'संजीवनी' कारगार साबित होती दिख रही है।एक नए शोध में सामने आया है कि मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन इस महामारी के उपचार में उम्मीद की किरण साबित हो रही है। ताजा शोध की रिपोर्ट के अनुसार अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को जिंक सप्लीमेंट के साथ कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को दिया जाए तो इससे काफी मरीजों की जान बचाई जा सकती है। भारत ने दुनियाभर के देशों को इस दवा का निर्यात किया है।

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न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्‍कूल ऑफ मेडिसिन के मुताबिक शोध के परिणाम काफी उत्‍साहजनक हैं लेकिन अभी और ज्‍यादा अध्‍ययन की जरूरत है।  शोधकर्ताओं का कहना है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, जिंक सप्‍लीमेंट और Azithromycin एंटीबायोटिक्स को देने से कोरोना के मरीजों के डिस्‍चार्ज होने और उनके मरने का खतरा कम हो जाता है। हालांकि इन दवाओं से मरीज के हॉस्पिटल में रहने की अवधि या वेंटिलेटर या ऑक्‍सीजन की जरूरत कम नहीं होती है। न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्‍कूल ऑफ मेडिसिन के मुताबिक शोध के परिणाम काफी उत्‍साहजनक हैं लेकिन अभी और ज्‍यादा अध्‍ययन की जरूरत है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि इस कॉम्बिनेशन को लेकर अभी क्लीनिकल ट्रायल की जरूरत है।

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यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉक्‍टर जोसेफ रहम‍ियान के अनुसार कोरोना प्रकोप की शुरुआत में हमें यह पता नहीं था कि क्‍या दवा काम कर रही है लेकिन अब इस बात के कुछ साक्ष्‍य हैं कि जिंक काम कर रहा है क्‍योंकि यह एंटी वायरल होता है। इसलिए हम यह देखना चाहते थे कि क्‍या इसका कोरोना मरीजों पर कोई फायदा हो रहा है या नहीं।' उन्‍होंने बताया कि अध्‍ययन में 932 मरीजों पर दो मार्च से 5 अप्रैल तक परीक्षण किया गया। इनमें से आधे मरीजों को जिंक सल्‍फेट, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और Azithromycin दिया गया। बाकी आधे लोगों को केवल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और Azithromycin दिया गया। शोध से पता चला कि जिन मरीजों को जिंक सल्‍फेट, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और Azithromycin दिया गया उनमें दूसरे समूह की तुलना में ठीक होने की दर डेढ़ गुना ज्‍यादा रही।

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यही नहीं मरने की दर भी 44 प्रतिशत कम रही। इसके अलावा ऐसे मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने की दर भी कम रही। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और Azithromycin पर रीसर्च शुरू करने जा रही है। इससे पहले अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को गेमचेंजर बताया था लेकिन बाद में डॉक्‍टरों को काफी निराशा हाथ लगी थी। ब्राजील के वैज्ञानिकों ने तो मलेरिया की इस दवा के इस्‍तेमाल पर ही रोक लगा दी थी। उन्‍होंने बताया कि जिन मरीजों को प्रयोग के तौर पर यह दवा दी गई, उनमें से एक चौथाई को हार्ट की दिक्‍कत आ गई। ब्राजील के राष्‍ट्रपति ने इस दवा को संजीवनी बूटी की संज्ञा देते हुए पीएम मोदी की हनुमान से तुलना की थी।

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