लोकसभा में पीएम मोदी बोले, किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं, आंदोलनजीवी कर रहे बदनाम

Edited By rajesh kumar,Updated: 10 Feb, 2021 07:04 PM

i consider the peasant movement as sacred the agitators are maligning

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों पर ‘‘झूठ एवं अफवाह'''' फैलाने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि ये कानून किसी के लिये बंधन नहीं है बल्कि एक विकल्प है, ऐसे में विरोध का कोई कारण नहीं है ।

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों पर ‘‘झूठ एवं अफवाह'' फैलाने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि ये कानून किसी के लिये बंधन नहीं है बल्कि एक विकल्प है, ऐसे में विरोध का कोई कारण नहीं है। प्रधानमंत्री ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की, ‘आइये, टेबल पर बैठकर चर्चा करें और समाधान निकालें।' उन्होंने यह भी कहा कि किसान आंदोलन पवित्र है लेकिन किसानों के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है। हमें आंदोलकारियों एवं आंदोलनजीवियों में फर्क करने की जरूरत है।

जो समाज के लिए जरूरी, वह कानून बनाए- पीएम मोदी
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का लोकसभा में जवाब देते हुए मोदी ने कहा, ‘पहली बार इस सदन में ये नया तर्क आया कि ये हमने मांगा तो दिया क्यों? आपने लेना नहीं हो तो किसी पर कोई दबाव नहीं है।' प्रधानमंत्री के भाषण के बीच में कांग्रेस के सदस्य विरोध जताते हुए सदन से बर्हिगमन कर गए। मोदी ने कहा कि इस देश में दहेज के खिलाफ कानून बने, इसकी किसी ने मांग नहीं की, लेकिन प्रगतिशील देश के लिए जरूरी था, इसलिए कानून बना। मोदी ने कहा कि इस देश के छोटे किसान को कुछ पैसे मिले इसकी किसी भी किसान संगठन ने मांग नहीं की थी। लेकिन प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत उनको हमने धन देना शुरू किया। उन्होंने कहा कि तीन तलाक कानून, शिक्षा का अधिकार कानून, बाल विवाह रोकने के कानून की किसी ने मांग नहीं की थी, लेकिन समाज के लिए जरूरी था इसलिए कानून बना।

ऐसी सोच लोकतंत्र की सोच नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है।' गौरतलब है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने चर्चा के दौरान कहा था कि जब किसानों ने इन कानूनों की मांग नहीं की तब इसे क्यों लाया गया। विपक्षी दलों ने सरकार से तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है। इस मुद्दे पर पिछले दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर पंजाब, हरियाण, उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों के काफी संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों में फर्क करना जरूरी
बहरहाल, प्रधनमंत्री ने निचले सदन में कहा, ‘कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या ? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है।' उन्होंने कहा, ‘किसानों के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है। इसलिए देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बारे में फर्क करना बहुत जरूरी है।' 

आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं
प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि दंगा करने वालों, सम्प्रदायवादी, आतंकवादियों जो जेल में हैं, उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना, यह किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है। उन्होंने कहा, ‘किसान आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं। भारत के लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है? '

एक सोची समझी रणनीति
सदन में कांग्रेस सदस्यों की टोकाटोकी के संदर्भ में मोदी ने कहा कि संसद में ये जो हो-हल्ला, ये आवाज हो रही है, ये रुकावटें डालने का प्रयास हो रहा है, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है।' मोदी ने कहा, ‘कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ। ये सच्चाई है। इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है।' उन्होंने दोहराया, ‘ये नए कानून किसी के लिए बंधन नहीं हैं, सभी के लिए विकल्प हैं, अगर विकल्प हैं तो विरोध का कारण ही नहीं होता।'

 

 

 

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