पवार बोले, 2014 में समर्थन देने का प्रस्ताव शिवसेना को BJP से दूर रखने की ‘चाल' थी

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Jul, 2020 03:33 PM

i did not want bjp shiv sena to come together sharad pawar

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 2014 में भाजपा को बाहर से समर्थन देने की उनकी पेशकश एक “राजीतिक चाल” थी, जिसका मकसद शिवसेना को उसके उस समय के सहयोगी दल से दूर रखना था। पवार ने स्वीकार किया कि उन्होंने ‘भाजपा और...

नेशनल डेस्कः राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 2014 में भाजपा को बाहर से समर्थन देने की उनकी पेशकश एक “राजीतिक चाल” थी, जिसका मकसद शिवसेना को उसके उस समय के सहयोगी दल से दूर रखना था। पवार ने स्वीकार किया कि उन्होंने ‘भाजपा और शिवसेना के बीच दूरियां बढ़ाने के लिए कदम उठाए। लंबे समय से सहयोगी रही भाजपा और शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर पिछले साल के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद राहें जुदा कर ली थी। पवार ने कहा कि पिछले साल के विधानसभा चुनाव के बाद, भाजपा नेताओं ने राज्य में देवेंद्र फडणवीस सरकार को समर्थन देने के लिए उनसे संपर्क किया था लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि राकांपा भाजपा के साथ नहीं जाएगी और अगर संभव होगा तो वह शिवसेना के साथ सरकार बनाएगी या विपक्ष में बैठेगी। 

 

मैं नहीं चाहता था भाजपा-शिवसेना साथ आए
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के गठन में मुख्य भूमिका निभाने वाले पवार ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना' में एक साक्षात्कार में कहा कि भाजपा को इस बात में यकीन नहीं है कि गैर भाजपा दलों को लोकतांत्रित व्यवस्था में काम करने का अधिकार है। तीन हिस्सों वाली साक्षात्कार श्रृंखला का अंतिम हिस्सा मराठी दैनिक समाचार पत्र में सोमवार को प्रकाशित हुआ। पहली बार, किसी गैर शिवसेना नेता को प्रकाशन की मैराथन साक्षात्कार श्रृंखला में जगह दी गई है। पवार ने कहा, “मैंने (2014 के विधानसभा चुनावों के बाद) जान-बूझकर बयान दिया था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि शिवसेना और भाजपा साथ आए। जब मुझे एहसास हुआ कि चुनाव के बाद गठबंधन की संभावना बन रही है तो मैंने बयान दिया जिसमें घोषणा की कि हम भाजपा सरकार को बाहर से समर्थन देने के लिए तैयार हैं।” उन्होंने कहा, “लेकिन उसने काम नहीं किया। शिवसेना सरकार में शामिल हो गई और गठबंधन सरकार ने कार्यकाल पूरा किया।” 

 

मैंने बढ़ाई भाजपा-शिवसेना में दूरी
दिग्गज नेता ने कहा कि उनका मानना था कि महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता में आने देना शिवसेना और अन्य दलों के हित में नहीं था। उन्होंने कहा, “केंद्र में भाजपा (2014 में) सत्ता में थी और अगर वह महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ पार्टी बनती है तो यह शिवसेना के लिए नुकसान होगा। भाजपा नहीं मानती कि किसी गैर भाजपाई पार्टी को लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का अधिकार है। मुझे पता था कि सभी अन्य दलों को खतरा है। बाहर से समर्थन देने वाला बयान एक राजनीतिक चाल थी। पवार ने कहा कि मैं मानता हूं कि मैंने भाजपा और शिवसेना के बीच दूरी बढ़ाने के लिए कदम उठाए। पवार ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दावे से इनकार किया कि वह (पवार) पिछले साल सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ बातचीत कर रहे थे और बाद में “यू-टर्न” ले लिया। उन्होंने कहा कि कुछ भाजपा नेताओं ने सरकार बनाने को लेकर मुझसे और मेरे सहयोगियों से बातचीत की थी और कहा था कि वह शिवसेना को शामिल नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि चूंकि मेरे प्रधानमंत्री के साथ अच्छे रिश्ते हैं, इसलिए उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए और मुझे अपनी सहमति देनी चाहिए। पवार ने कहा, “इसलिए, मुझे और मेरी पार्टी को लेकर किसी तरह के भ्रम की स्थिति या अवधारणा से बचने के लिए, मैंने संसद भवन में प्रधानमंत्री के कक्ष में उनसे मुलाकात की और उन्हें बताया कि राकांपा भाजपा के साथ नहीं जा सकती। अगर संभव होगा तो हम शिवसेना के साथ सरकार बनाएंगे या विपक्ष में बैठेंगे।'' 

 

फडणवीस पर निशाना
पवार के महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए वरिष्ठ भाजपा नेताओं से बातचीत करने संबंधी फडणवीस के बयान को लेकर उन पर निशाना साधते हुए राकांपा नेता ने कहा कि वह कहां थे? मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनका कोई स्थान है। पवार ने कहा कि फडणवीस मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रसिद्ध चेहरा बन गए थे जबकि विपक्ष के लिए वह सिर्फ सक्रिय विधायक थे और ‘राज्य में तथा राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनका मत नहीं लिया जाता। उन्होंने कहा कि फडणवीस अब तक इस बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं कि वह फिर से सरकार (पिछले साल) नहीं बना पाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता स्थायी नहीं है। लोगों द्वारा जो भी जिम्मेदारी दी जाए, हमें उसे स्वीकार करना चाहिए। मैंने जब 1980 में मुख्यमंत्री का पद गंवाया था तो मैं विपक्ष का नेता बना। उस भूमिका को मैंने ज्यादा पसंद किया। उन्होंने कहा कि आज हम क्या देखते हैं? एक पूर्व मुख्यमंत्री कहता है कि उसके लिए यह स्वीकार कर पाना मुश्किल है कि वह सत्ता में नहीं है। यह उसके लिए अच्छा नहीं है। उन्हें सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए।

 

 ‘ऑपरेशन कमल' सत्ता का दुरुपयोग
‘ऑपरेशन कमल' के बारे में पवार ने कहा, “ऑपरेशन कमल भाजपा द्वारा सत्ता का दुरुपयोग था। यह केंद्र में सत्ता का दुरुपयोग कर निर्वाचित सरकारों को कमजोर एवं अस्थिर करने के लिए था।” उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन कमल' महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा और ठाकरे सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। पवार ने यह भी कहा कि विपक्षी दलों में राष्ट्रीय स्तर (केंद्र पर) पर विकल्प उपलब्ध कराने की क्षमता है, “लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण, प्रक्रिया थम गई है। एक बार संकट खत्म होगा, तो राजनीतिक हलचल गति पकड़ेगी''। उद्धव ठाकरे नीत महाराष्ट्र सरकार के बारे में उन्होंने कहा कि शासन में कोई दिक्कत नहीं है, बस सहयोगियों के बीच संवाद का अभाव है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को दिल्ली में आवंटित बंगले को केंद्र द्वारा खाली करने के लिए कहने पर पवार ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह सभ्य व्यवहार है। सत्ता का उपयोग विनम्रता के साथ करना चाहिए। ऐसी चीजें तब होती हैं, जब सत्ता का गुरूर सिर चढ़ कर बोलता है।” उन्होंने कहा कि प्रियंका पूर्व प्रधानमंत्री (राजीव गांधी) की बेटी हैं, जिनकी हत्या हुई थी। राजनीतिक प्रतिद्ंवद्वियों को परेशान करने के लिए सत्ता का इस्तेमाल करना समझदारी नहीं है।”

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!