मैं भारत में मरना पसंद करूंगा चीन में नहीं, बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने जताई अपनी इच्छा

Edited By Anu Malhotra,Updated: 22 Sep, 2022 04:10 PM

i would prefer to die in india not in china  dalai lama

बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने आज कहा कि जिस समय मैं मरूं, मैं भारत में मरना पसंद करूंगा। भारत ऐसे लोगों से घिरा हुआ है जो प्यार दिखाते हैं, आर्टिफिशियल नहीं है। अगर मैं चीन के अधिकारियों के बीच मरता हूं, तो बहुत ज्यादा आर्टिफिशियल है। मैं मुक्त...

धर्मशाला: बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने आज कहा कि जिस समय मैं मरूं, मैं भारत में मरना पसंद करूंगा। भारत ऐसे लोगों से घिरा हुआ है जो प्यार दिखाते हैं, आर्टिफिशियल नहीं है। अगर मैं चीन के अधिकारियों के बीच मरता हूं, तो बहुत ज्यादा आर्टिफिशियल है। मैं मुक्त लोकतंत्र भारत में मरना पसंद करता हूं।

बता दें कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को सामाजिक न्याय, कूटनीति और उदारता के लिए 'ऐलिस एंड क्लिफोर्ड स्पेंडलोव' पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उनके कार्यालय ने यह जानकारी दी। दलाई लामा 2005 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, मर्सिड में शेरी स्पेंडलोव द्वारा स्थापित पुरस्कार से सम्मानित होने वाले 15वें व्यक्ति होंगे।

साहित्य, भाषा और संस्कृति विभाग के प्रोफेसर निगेल हैटन ने कहा कि दलाई लामा को 'स्पेंडलोव' पुरस्कार के लिए नामित करते हुए, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया मर्सिड एक ऐसे वैश्विक आध्यात्मिक नेता को मान्यता दे रहा है जो हमारी विविधता के बीच खुशी, करुणा, सौहार्दता, आत्म-अनुशासन, दोस्ती और मानवीय एकजुटता के महत्व को व्यक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।''

हर साल, 'स्पेंडलोव' पुरस्कार एक ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जो कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, मर्सिड के छात्रों, शिक्षकों और आसपास के समुदाय के लिए एक आदर्श और प्रेरणादायक व्यक्ति के रूप में काम कर सकता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और नोबेल पुरस्कार विजेता रिगोबर्टा मेनचु तुम प्रतिष्ठित स्पेंडलोव पुरस्कार विजेताओं में से हैं।


 
 

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