Edited By Yaspal,Updated: 25 Aug, 2019 08:04 PM
भारतीय वायुसेना (IAF) को उम्मीद है कि 114 लड़ाकू विमानों को खरीदने का उनका नया प्रयास फ्रांसीसी राफेल की खरीदारी की प्रक्रिया से अधिक शीघ्र होगी, जिसमें 10 सालों से अधिक समय लग गया। राफेल अनुंबध के 126 से 36 तक...
नेशनल डेस्कः भारतीय वायुसेना (IAF) को उम्मीद है कि 114 लड़ाकू विमानों को खरीदने का उनका नया प्रयास फ्रांसीसी राफेल की खरीदारी की प्रक्रिया से अधिक शीघ्र होगी, जिसमें 10 सालों से अधिक समय लग गया। राफेल अनुंबध के 126 से 36 तक कम होने के बाद भारतीय वायुसेना ने 114 जेट खरीदने के लिए एक बार फिर से वैश्विक बाजार में कदम रखा था। बोइंग, लॉकडीह, मार्टिम इंडिया, यूरोफाइटर, रशियन यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन और साब जैसे सभी प्रमुख फाइटर निर्माता लगभग 1500 करोड़ डॉलर के अनुबंध की दौड़ में है।
इन कंपनियों ने इससे पहले मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) नीलामी प्रक्रिया में भी हिस्सा लिया था। भारत से ऑर्डर प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा के चलते उन्होंने कुछ अच्छे ऑफर्स भी निकाले। अमेरिकी विमान निर्माताओं ने भारत में F-16 और एफ-16 जेट की उत्पादन लाइनें स्थापित करने की पेशकश की।
नई दिल्ली और पेरिस 36 और राफेल की आपूर्ति संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। इन सबके अलावा और भी कई अवसर हैं। लड़ाकू विमानों के नए लाइन को शामिल करने में देरी होने से पहले से ही भारतीय वायु सेना के युद्ध से संबंधित योजनाओं पर असर पड़ा है।
मिकोयान-गुरेविच मिग-21 (एमआईजी-21) को चरणबद्ध तरीके से बेड़े से हटाया जाना है, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते नए आर्डर आने में देरी हुई है। वायुसेना को पहला राफेल अगले महीने मिलेगा और सभी 36 विमान मिलने में अगले चार सालों का वक्त लगेगा।
भारतीय वायु सेना रूस से एमआईजी-29 लेने के साथ सुखोई एसयू-30 एमकेआई का ऑर्डर देने पर भी विचार कर रही है। भारत की योजना जगुआर को उन्नत बनाने की है जो कि पिछले कई सालों से लंबित है, इस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।