Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Aug, 2017 08:34 PM
पंचकूला में 25 अगस्त को जो कोहराम सड़कों पर नजर आया, उसे रोका जा सकता था।
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरनी): पंचकूला में 25 अगस्त को जो कोहराम सड़कों पर नजर आया, उसे रोका जा सकता था। अंबाला कमिश्नरी डिविजन के आईएस अधिकारी विवेक जोशी के एक खत को अगर पंचकूला पुलिस कमिश्नर ने गंभीरता से लिया होता तो पंचकूला जलने से बच जाता। ये वो खत है जो पंजाब केसरी के हाथ लगा है और 24 अगस्त को लिखे इस खत में अंबाला कमिश्नरी डिविजन ने पंचकूला में हालात खराब होने की पूरी-पूरी आशंका जताई थी मगर इसके बावजूद स्थिति को गंभीरता से नजर नहीं लिया गया। तस्वीरों में आप जो खत देख रहे हैं वो 24 अगस्त को अंबाला कमिश्नरी डिविजन ने पंचकूला पुलिस कमिश्नर को लिखा था। इस खत में पंचकूला के कई इलाकों में हिंसा की संभावना जताई गई थी।
खत में लिखा गया था कि राम रहीम पर फैसला आते ही पंचकूला के सेक्टर 2, 3, 5 और 6 में हालात बिगड़ सकते हैं। इन सभी इलाकों पर पैनी नजर रखने और यहां लोगों को इकट्ठा न होने देने की हिदायत दी गई थी। इसके साथ ही पंचकूला के सेक्टर-5 में स्थित कई खाली इलाकों का भी जिक्र किया गया था। इसमें यावनिका, निरजर वाटिका और टाउन पार्क जैसे खाली इलाकों का जिक्र है। अंबाला कमिश्नरी डिविजन ने साफ साफ खत में लिखा था कि इन इलाकों में बहुत खाली स्पेस है और यहां डेरा समर्थक इकट्ठा होकर उत्पात मचा सकते हैं। इन इलाकों में भी लोगों को जमा न होने देने का जिक्र किया गया था मगर इन चेतावनी पर भी गौर नहीं किया गया।
अंबाला कमिश्नरी डिविजन ने इन सभी इलाकों का खुद दौरा करने की बात भी पत्र में कही थी और यहां के हालातों को गंभीरता से लेने की चेतावनी दी गई थी मगर इस सब के बावजूद पंचकूला पुलिस ने सबकुछ नजरअंदाज कर दिया। लोग पंचकूला की सरहदों में घुसते गए। डेरा समर्थकों का जमावड़ा लगता गया और देखते ही देखते पूरा पंचकूला डेरा समर्थकों से खचाखच भर गया और फिर 25 अगस्त की उस शाम जैसे ही राम रहीम को दोषी करार दिया गया, पूरा पंचकूला जलने लगा। राम रहीम के समर्थक हिंसक हो गए और जगह जगह हिंसा की खबरें सामने आने लगी। मगर इस पत्र के सामने आने से जाहिर हो गया है कि अगर वक्त रहते सही फैसले लिये गए होते तो न लोगों की जानें जाती और न ही हरियाणा के माथे पर ये कलंक लगता ।