Edited By vasudha,Updated: 17 Jul, 2019 07:13 PM
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में कुलभूषण जाधव मामले में भारत की बड़ी जीत हुई है। जबकि पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। 15 जजों में जाधव मामले में फांसी पर रोक बरकरार रखी और कहा कि पाकिस्तान फांसी की सजा पर पुनर्विचार करे। आईसीजे ने पाकिस्तान को...
नेशनल डेस्क: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में कुलभूषण जाधव मामले में भारत की बड़ी जीत हुई है। जबकि पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। 15 जजों में जाधव मामले में फांसी पर रोक बरकरार रखी और कहा कि पाकिस्तान फांसी की सजा पर पुनर्विचार करे। आईसीजे ने पाकिस्तान को जाधव को काउंसलर एक्सेस देने का भी आदेश दिया।
अब भारत जाधव को अपना वकील उपलब्ध करा सकेगा।कोर्ट के इस फैसले पर पाकिस्तान ने एतराज जताया लेकिन आईसीजे ने इसे खारिज कर दिया। भारत के पक्ष में आईसीजे के 15 जजों का फैसला भारत के पक्ष में आया। नीदरलैंड के हैग में पीस पैलेस में जाधव मामले में सार्वजनिक सुनवाई प्रमुख न्यायाधीश अब्दुलकावी अहमद युसुफ ने फैसला पड़कर सुनाया। 16 में से 15 जज भारत के पक्ष में थे। आईसीजे ने कहा कि पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है जो कि गंभीर मामला है। मगर आईसीजे ने भारत की कुलभूषण को रिहा करने की मांग को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला
- मार्च, 2016 में पाकिस्तान के सैनिकों ने कुलभूषण जाधव को बलूचिस्तान प्रांत से हिरासत में ले लिया था।
- पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव पर अफगानिस्तान में जासूसी करने के आरोप लगाए जिसके बाद पाक की मिलिट्री कोर्ट ने उन्हे 10 अप्रैल 2017 को मौत की सज़ा सुनाई थी।
- भारत ने इस सज़ा पर रोक लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट (आईसीजे) में अपील की जिसके बाद आईसीजे ने मामले की सुनवाई पूरी न होने तक सज़ा पर रोक लगाई।
- जाधव तक राजनयिक पहुंच नहीं मिलने पर भारत ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया। भारत ने कोर्ट को बताया कि जाधव तक राजनयिक पहुंच के लिए उसने 16 बार अनुरोध किए लेकिन पाकिस्तान ने हर बार उसके अनुरोध को ठुकरा दिया।
- आईसीजे में सुनवाई के दौरान, भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपना अपना पक्ष रखा था और जवाब दिये थे।
- इस मामले में भारत का पक्ष रखने वाले हरीश साल्वे ने पाकिस्तान की कुख्यात सैन्य अदालतों के कामकाज पर सवाल उठाए थे और दबाव वाले कबूलनामे पर आधारित जाधव की मौत की सजा निरस्त करने का संयुक्त राष्ट्र की इस अदालत से अनुरोध किया था।