देश में कई जगह कम्युनिटी ट्रांसमिशन, ICMR नहीं दिखा रहा सचः विशेषज्ञ

Edited By Yaspal,Updated: 14 Jun, 2020 05:16 AM

icmr is not showing the truth expert

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी आने के बीच शनिवार को विशेषज्ञों ने कोविड-19 का सामुदायिक प्रसार नहीं होने को लेकर सीरो सर्वेक्षण के नतीजों के आधार पर आईसीएमआर द्वारा किये गए दावों के लिये उसे आड़े हाथों लिया। विशेषत्रों ने कहा कि यह...

नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी आने के बीच शनिवार को विशेषज्ञों ने कोविड-19 का सामुदायिक प्रसार नहीं होने को लेकर सीरो सर्वेक्षण के नतीजों के आधार पर आईसीएमआर द्वारा किये गए दावों के लिये उसे आड़े हाथों लिया। विशेषत्रों ने कहा कि यह मौजूदा स्थिति को परिलक्षित नहीं करता और सरकार सच्चाई को स्वीकार करने में ‘अड़ियल' रुख दिखा रही है। देश के कई हिस्सों में सामुदायिक प्रसार पर जोर देते हुए विशेषज्ञों ने सरकार से कहा कि वह इसे स्वीकार करे जिससे लोग लापरवाह न हों।
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भारतीय आयुर्विज्ञान शोध परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने बृहस्पतिवार को सर्वेक्षण के नतीजे जारी करते हुए मीडिया से कहा था कि भारत में निश्चित रूप से अभी सामुदायिक प्रसार का चरण नहीं आया है। उनके इस बयान के बाद विषाणु रोग विज्ञान, लोक स्वास्थ्य और आयुर्विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने यह राय जाहिर की है। सीरो-सर्वेक्षण के अनुसार 65 जिलों की रिपोर्ट के मुताबिक 26,400 लोगों पर किये गए सर्वेक्षण में 0.73 प्रतिशत सार्स-सीओवी-2 की चपेट में अतीत में आ चुके है। एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एम सी मिश्रा ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश के कई हिस्सों में सामुदायिक प्रसार है। मिश्रा ने ‘पीटीआई' से कहा,“बड़े पैमाने पर लोगों के पलायन और लॉकडाउन में छूट से इसमें और तेजी आई और यह बीमारी उन इलाकों में भी पहुंच गई जहां कोई मामले नहीं थे। सरकार को ऐसे समय में आगे आकर इसे मानना चाहिए जिससे लोग ज्यादा सतर्क हों और लापरवाह न बनें।”
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आईसीएमआर के सीरो-सर्वेक्षण के बारे में उन्होंने कहा कि संक्रमण के प्रसार का पैमाना जानने केलिये 26,400 लोगों का नमूना लिया जाना बेहद अपर्याप्त है, खास तौर पर देश की बड़ी आबादी और विविधता को ध्यान में रखते हुए। प्रमुख विषाणु रोग विशेषज्ञ शाहिद जमील ने कहा कि भारत काफी पहले सामुदायिक प्रसार के चरण में पहुंच चुका था। उन्होंने कहा, “बात सिर्फ इतनी है कि स्वास्थ्य अधिकारी इसे मान नहीं रहे हैं। यहां तक कि आईसीएमआर के तहत आने वाले एसएआरआई (गंभीर श्वसन रोग बीमारी) के अध्ययन में दिखाया गया है कि सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित पाए गए 40 प्रतिशत लोगों में कोई हाल में विदेश यात्रा करने या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की कोई जानकारी नहीं थी।”
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वेलकम ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जमील ने कहा कि विचार करने वाला महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि आईसीएमआर ने किस संवेदनशीलता और विशिष्टता के साथ यह सर्वेक्षण किया, इसका खुलासा उसने नहीं किया है यहां तक कि एक प्रतिशत का अंतर भी कम मामलों वाले नतीजे में बड़ा बदलाव ला सकता है। फेफड़ों के प्रख्यात सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि आईसीएमआर की दलील अगर मान भी ली जाए तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दिल्ली, अहमदाबाद और मुंबई जैसी जगहों पर सामुदायिक प्रसार हो रहा है।
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दिल्ली में सर गंगाराम अस्पताल में काम करने वाले कुमार ने कहा, “भारत एक विशाल देश है और हर राज्य में वायरस को लेकर अनुभव अलग और उनके चरम पर पहुंचने का समय भी अलग है।” उन्होंने  कहा, “एंटीबॉडीज को विकसित होने में दो हफ्ते का वक्त लगता है ऐसे में यह सर्वेक्षण अप्रैल की स्थिति को परिलक्षित करता है। अप्रैल में हम संभवत: सर्वश्रेष्ठ स्थिति में थे। अप्रैल की स्थिति का प्रतिनिधित्व करने वाले अध्ययन के आधार पर यह कहना कि हम सामुदायिक प्रसार की स्थिति में नहीं है, गलत बयान है।”
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स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोविड-19 संक्रमण के आंकड़े शनिवार को तीन लाख के पार पहुंच गए और एक दिन में संक्रमण के सबसे ज्यादा 11,458 मामले सामने आए जबकि महामारी के कारण जान गंवाने वालों की संख्या 8,884 हो गई जिनमें से 386 लोगों की मौत बीते 24 घंटों में हुई। कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 3,08,993 होने के साथ ही भारत इस महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित दुनिया का चौथा देश बन गया है। भार्गव ने कहा था कि अध्ययन में कुल 83 जिलों और 26,400 लोगों को अब तक शामिल किया गया है और 28,595 घरों तक पहुंचा गया है। देश में 25 अप्रैल को कोविड-19 के सामने आये मामलों के आधार पर इन जिलों का चयन किया गया।

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