Edited By Monika Jamwal,Updated: 18 Mar, 2019 12:02 PM
खनन माफिया और खनन विभाग की मिलीभगत से बड़े ही सुनियोजित तरीके से रावी दरिया से रियासत का खजाना लूटा जा रहा है।
कठुआ : खनन माफिया और खनन विभाग की मिलीभगत से बड़े ही सुनियोजित तरीके से रावी दरिया से रियासत का खजाना लूटा जा रहा है। हालांकि प्रशासन ने खनन पर रोक लगा रखी है बावजूद इसके प्रशासन के आदेशों को धत्ता बताते हुए खनन माफिया सूर्य ढलते ही रियासत के खजाने को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। सिर्फ रावी दरिया ही नहीं अन्य कई हिससों में भी अवैध खनन चोरी छिपे जारी है। जिसके चलते रावी दरिया की हालत दिन व दिन खराब होती जा रही है। यही नहीं पंजाब के लोग भी विभागीय मिलीभगत से रात को हमारी हद में आकर खनन करने के बाद निकल लेते हैं। इसके लिए दरिया के बीचोबीच से मार्ग बनाया गया है जो सीधा पंजाब की हद से स्टीक जुड़ता है। इसपर आवाजाही खनन माफिया ही करता आ रहा है।
दरअसल रियासती सरकार द्वारा वर्ष 2017 में एस.आर.ओ. 302 के तहत लाइसैंस अनिवार्य किया गया है। परंतु जिला में साठ के करीब स्टोन क्रशरों में से मात्र 9 क्रशरों के पास ही इसका लाइसैंस हैं। विभागीय सत्रों की मानें तो इस लाइसैंस को हासिल करने वाले क्रशरों के पास ही क्रशर संचालन की अनुमति है लेकिन खनन पर प्रतिबंध होने के बावजूद आखिर किस तरह से जिला में क्रशर काम कर रहे हें, इससे विभागीय कार्यप्रणाली भी साफ हो जाती है। यही नहीं कई स्थानों से तो बाहरी जिलों के डंपर, टिप्पर हमारे जिला से माल लेकर जा रहे हैं। सूत्र यह भी बताते हैं जिला कठुआ में ही रोजाना दो दर्जन से अधिक बाहरी वाहन आते हैं और हाइवे मार्ग से होकर पत्थर आदि लोड करने के बाद निकल पड़ते हैं। यहीं दूसरी ओर रियालटी के नाम पर भी खनन विभाग एक तरह से छलकपट कर रहा है और जितनी संख्या में वाहन आवाजाही करते हैं, उस हिसाब से राजस्व भी नहीं दिखा रहा है। कई स्थानों पर तो पुरानी रियालटी की स्ल्पिें कर्मियों द्वारा रखे गए प्राइवेट एजेंटों को दी गई है जो सुनियोजित तरीके से रियासत के राजस्व को भी चूना लगा रहे हैं।
खनन की अनुमति ही नहीं तो कहां से आ रहा माल
कई स्थानों पर क्रशरों से भी माल धड़ाधड़ बेचा जा रहा है। ऐसे में हैरानगी है कि अगर प्रशासन ने पिछले कई माह से खनन पर प्रतिबंध लगाया है तो फिर कई क्रशर आखिर
संचालन कैसे कर रहे हैं। वे क्रशर चलाने के लिए आखिर कच्चा माल कहां से ले रहे हैं। जाहिर है कि वे चोरी छिपे खनन कर ही कच्चा माल एकत्रित कर रहे हैं और बाद में माल
पहले से ही डंप हुआ दिखाकर क्रशरों का संचालन कर रहे हैं यह सब विभागीय मिलीभगत से ही संभव हो पा रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि कई क्रशर संचालकों द्वारा अपनी निजी
भूमि से खनन की अनुमति ले रखी है इसके लिए बकायदा उन्होंने विभाग को राजस्व दिया है लेकिन बाकी के किस लिहाज से और कहां से खनन कर रहे हैं। इसे लेकर विभाग के साथ साथ प्रशासन की चुप्पी भी सवाल खड़े कर रही है।