Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Oct, 2017 11:14 PM
आईएमएफ के वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक के हालिया अंक में भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार का अनुमान वित्त वर्ष 2018 में 6.7 प्रतिशत रखा है, यह पहले 7.2 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2019 में भी भारत की जीडीपी का अनुमान 7.7 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है
नई दिल्लीः वित्ती वर्ष 2018 के लिए भारत की अनुमानित विकास दर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कम कर दी है। आईएमएफ के मुताबिक, इसकी वजह नोटबंदी और जीएसटी है। हालांकि, आईएमएफ ने ये भी कहा है कि इन आर्थिक सुधारों की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था फिर रफ्तार पकड़ेगी और सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगी।
आईएमएफ के वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक के हालिया अंक में भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार का अनुमान वित्त वर्ष 2018 में 6.7 प्रतिशत रखा है, यह पहले 7.2 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2019 में भी भारत की जीडीपी का अनुमान 7.7 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है।
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत की विकास दर में सुस्ती आई है, जिसका कारण सरकार द्वारा करंसी में बदलाव (नोटबंदी) और साल के बीच में लागू किया गया आर्थिक सुधार जीएसटी है, जिसकी वजह से अनिश्चितता की स्थिति बनी। साथ ही कहा कि भारत की विकास दर में सुस्ती के बीच वैश्विक ग्रोथ बढ़ेगी और चीन तेजी से बढ़ते हुए भारत को पछाड़ 6.8 प्रतिशत की विकास दर पकड़ेगा।
आईएमएफ की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत चीन से सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का खिताब वित्त वर्ष 2019 में फिर हासिल कर लेगा। वित्त वर्ष 2019 में चीन की अनुमानित विकास दर 6.5 प्रतिशत होगी। वर्ल्ड इकॉनमी की बात करें तो 2017 में यह 3.6 प्रतिशत और 2018 में 3.7 प्रतिशत होगी। यह अनुमान आईएमएफ के पिछले अनुमान से 0.1 प्रतिशत ज्यादा है।
आईएमएफ ने कहा है कि जरूरी आर्थिक सुधारों से ग्रोथ में तेजी आएगी। आईएमएफ ने कहा, भारत के 'घरेलू मार्केट का एकीकरण' करने वाले जीएसटी जैसे सुधारों से विकास दर में बाद में तेजी आएगी और यह 8 प्रतिशत को पार कर जाएगी। आईएमएफ ने अन्य लंबित सुधारों की ओर इशारा करते हुए कहा कि बिजनस के लिए माकूल माहौल बनाने के लिए श्रम सुधार और भूमि सुधार कानूनों को भी लागू करना होगा।