Edited By ,Updated: 14 Dec, 2016 12:23 AM
आसमान में तैरते कणों की उच्च मात्रा से दिल्ली की वायु गुणवत्ता छह दिसंबर से ही खराब बनी हुई है, हालांकि उसकी स्थिति अब थोड़ी सुधरी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण...
नई दिल्ली: आसमान में तैरते कणों की उच्च मात्रा से दिल्ली की वायु गुणवत्ता छह दिसंबर से ही खराब बनी हुई है, हालांकि उसकी स्थिति अब थोड़ी सुधरी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एनएक्यूआई) के अनुसार 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एकक्यूआई) 340 रहा। चार सौ से अधिक का सूचकांक वर्गीकरण के अनुसार गंभीर माना जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे दोनों श्रेणियों में थोड़ा अंतर है लेकिन दिल्ली में सर्दियों में प्रदूषण की आम तीव्रता एेसी है कि गंभीर से कुछ भी कम को राहत समझा जाता है। केंद्रीय एजेंसी सफर (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के एक निगरानी केंद्र को छोड़कर बाकी सभी के अनुसार वायु की गुणवत्ता बहुत ही खराब है।
सिर्फ लोधी रोड स्थित केंद्र के अनुसार पीएम 10 मध्यम और पीएम 2.5 का स्तर खराब था। सीपीसीबी के मानकों के अनुसार काफी खराब गुणवत्ता वाली हवा में लंबे समय तक रहने पर सांस संबंधी रोग हो सकता है जबकि गंभीर एक्यूआई स्वस्थ व्यक्ति पर भी असर डालता है एवं पहले से बीमार व्यक्तियों पर बुरा असर डालता है।