डेढ़ साल में शाह ने दूसरी बार गोवा में पलटा कांग्रेस का गेम प्लान

Edited By Yaspal,Updated: 16 Oct, 2018 06:49 PM

in a year and a half shah plans a game plan for goa reverted in goa

गोवा में चल रही राजनीतिक उठा-पटक के बाद मंगलवार का दिन कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं रहा...

नेशनल डेस्कः गोवा में चल रही राजनीतिक उठा-पटक के बाद मंगलवार का दिन कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं रहा। राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के खराब स्वास्थ्य की वजह से उठे सियासी संकट के बीच विधानसभा में सबसे बड़े दल कांग्रेस का यह दांव बीजेपी के चाणक्य अमित शाह के आगे तब उल्टा पड़ गया, जब उसके ही दो विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया है।

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कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफे के बाद 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा की संख्या घटकर 38 हो गई है और सबसे बड़े दल कांग्रेस के 16 में से विधायकों की संख्या 14 रह गई है। विधानसभा की मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो कांग्रेस-बीजेपी के पास 14-14 विधायक, महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के 3, गोवा फॉरवर्ड पार्टी के 3,3 निर्दलीय और एनसीपी के 1 विधायक शामिल हैं।

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मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की तबीयत लगातार नाजुक होने के बाद भी बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखा है। इसके पीछे की वजह है कि बीजेपी को समर्थन देने वाली पार्टियां पर्रिकर के अलावा किसी और को नेता मानने को तैयार नहीं हैं। पर्रिकर की स्वीकार्यता को देखते हुए उनसे देश के रक्षा मंत्री का प्रभार वापस लेकर गोवा की कमान सौंपी थी।

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बता दें कि बीजेपी ने कुछ महीने पहले कोशिश की थी कि विधायक दल की बैठक बुलाकर किसी और को नेता चुन लिया जाए, लेकिन बीजेपी ने अपने कदम पीछे खींच लिए, मुख्यमंत्री पर्रिकर दिल्ली के एम्स से अपने राज्य वापस लौट चुके हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर स्थिति सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट नहीं है। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार राज्यपाल से राज्य के संवैधानिक संकट को देखते हुए विशेष सत्र बुलाकर बहुमत साबित करने की मांग कर रही थी। इसी संदर्भ में कांग्रेस ने सोमवार को राष्ट्रपति को ज्ञापन लिखकर विधानसभा की ताजा स्थिति से अवगत कराया था।

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कांग्रेस के बढ़ते दबाव और मनोहर पर्रिकर के स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए राज्य में बीजेपी एक बार फिर सक्रिय हुई है। जाहिर है कि पार्टी गोवा की सत्ता अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती और ऐसे समय में तो बिल्कुल भी नहीं जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक हों। लिहाजा ऐसी स्थिति में बीजेपी इस रणनीति पर काम करती दिख रही है कि यदि पर्रिकर के अलावा किसी और को नेता चुन लिया जाता है तो विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। ऐसे में अगर बीजेपी को समर्थन दे रही पार्टियों ने पर्रिकर के अलावा किसी और को नेता मानने से इनकार कर दिया तो इसकी भरपाई कैसे होगी। कांग्रेस के दो विधायक दयानंद सोपते और सुभाष शिरोदकर के इस्तीफे से विधानसभा की संख्या घटकर 38 हो गई है। लिहाजा अब बहुमत साबित करने के लिए 19 विधायकों की आवश्यकता होगी।

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कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले इन दोनों विधायकों का दावा है कि भविष्य में कांग्रेस के और विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। ऐसे में अगर इन विधायकों का दावा सही साबित हुआ, तब बीजेपी को अन्य नेता की अगुवाई में सरकार बनाने कि लिए बहुमत साबित करने में मुश्किल नहीं होगी। लिहाजा एक बार फिर कांग्रेस बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की चाणक्य नीति के सामने हाथ मलती रह जाएगी।

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