Edited By vasudha,Updated: 09 Apr, 2019 05:03 PM
सरकार भले ही लाख दावे करे लेकिन देश भर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं कम होने की बजाए बढ़ती ही जा रही है। ऐसा ही एक मामला असम का भी सामने आया है, जहां भीड़ ने 68 साल के बुजुर्ग को अपना निशाना बना लिया...
नेशनल डेस्क: सरकार भले ही लाख दावे करे लेकिन देश भर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं कम होने की बजाए बढ़ती ही जा रही है। ऐसा ही एक मामला असम का भी सामने आया है, जहां भीड़ ने 68 साल के बुजुर्ग को अपना निशाना बना लिया। लोगों के एक समूह ने मुस्लिम व्यक्ति को कथित रूप से पीटा और उसे सूअर का मांस खाने के लिए बाध्य किया जो उसके बीफ बेचने को लेकर नाराज थे। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस अधीक्षक राकेश रौशन ने बताया कि पीड़ित शौकत अली (68) पर बिश्वनाथ जिले के मधुपुर साप्ताहिक बाजार में स्थानीय लोगों के एक समूह ने हमला किया और उसे अस्पताल में भर्ती कराने की जरुरत पड़ी। घटना का वीडियो वायरल हो गया जिसमें दिखाया गया है कि अली कुछ नाराज लोगों से घिरा हुआ है जो ये जानना चाह रहे हैं कि वह कहां से आया है और क्या उसका नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी में है जिसका इरादा अवैध घुसपैठियों को बाहर करना है। रौशन के अनुसार अली को स्थानीय लोगों ने पीटा जो किसी कट्टरपंथी संगठन से नहीं जुड़े थे।
खाने का स्टाल चलाने वाले अली ने दावा किया कि हमला करने वालों ने उसे सूअर का मांस जबर्दस्ती खिलाया लेकिन पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की। घटना के सिलसिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है और उससे पूछताछ की गई। अली ने दावा किया कि वह बाजार में बीफ तीन दशक से अधिक समय से बेच रहा है और उसे कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा। समूह ने अली को बीफ के व्यंजन बेचने की इजाजत देने के लिए बाजार के ठेकेदार 42 वर्षीय कमल थापा को भी पीटा।
बता दें कि राज्य में गोवध और बीफ का सेवन प्रतिबंधित नहीं है लेकिन असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950 केवल 14 वर्ष से अधिक उम्र के मवेशी को मारने की अनुमति देना है जिसके लिए पशु चिकित्सक से प्रमाणपत्र जरूरी है। रविवार की घटना तब प्रकाश में आयी जब हमलावरों में से एक ने वीडियो बनाया जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। पीड़ित के भाई सहाबुद्दीन अली की शिकायत पर सोमवार शाम में बिश्वनाथ चरियाली पुलिस थाने में एक मामला दर्ज किया गया। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि घटना में शामिल अन्य व्यक्तियों की धरपकड़ के लिए छापेमारी जारी है। वहीं AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस घटना का विरोध जताते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि असम में बीफ लीगल है, भारत के किसी भी हिस्से में निर्दोष बुजुर्ग शख्स की लिंचिंग गैरकानूनी है।