Edited By Yaspal,Updated: 11 Jan, 2019 07:30 PM
दिल्ली मेट्रो में 2017 में पॉकेटमारी के 1392 मामले दर्ज हुए थे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) ने इस संख्या को कम करने के लिए काफी कदम उठाए हैं। सीआईएसएफ ने विशेष अभियान चलाकर इस संख्या को 2018 में 497 तक ले आया...
नेशनल डेस्कः दिल्ली मेट्रो में 2017 में पॉकेटमारी के 1392 मामले दर्ज हुए थे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) ने इस संख्या को कम करने के लिए काफी कदम उठाए हैं। सीआईएसएफ ने विशेष अभियान चलाकर इस संख्या को 2018 में 497 तक ले आया है। इसमें से भी 94% मामलों में पॉकेटमारी की घटना को महिलाओं ने अंजाम दिया था। 2017 में यह 85 % था।
2017 के आंकड़े ने सीआईएसएफ को परेशान कर दिया था, जिसके कंधों पर दिल्ली मेट्रोल की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। अधिकारियों ने ह्यूमन इंटेलिजेंस और सीसीटीव कैमरों की मदद से संदिग्धों की पहचान करना शुरू कर दिया था और उन्हें परिसर में घुसने से मना कर दिया जाता था। सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मेट्रो स्टेशन पर 236 कर्मचारियों की अधिक तैनाती की गई और अतिरिक्त जवानों (महिला और पुरुष दोनों) को असुरक्षित स्थानों पर लगाया गया, ताकि वह पॉकेटमारों को रंगे हाथ पकड़ा जा सके।
इसमें दिल्ली पुलिस का भी सहयोग लिया गया, जिसके चार कॉन्टेबलों की विशेष टीम मेट्रो स्टेशन और इस गैंग की 28 पॉकेटमारों और झपटमारों पर नजर रखते। 2017 में 1292 महिलाएं और 100 पुरुष पकड़े गए, वहीं 2018 में यह संख्या 470 और 28 है।
सीआईएसएफ और पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, महिला पॉकेटमार ज्यादातर सेंट्रल दिल्ली से ट्रेन में चढ़ती हैं और आम तौर पर संचालन करती है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, यात्रियों को किसी महिला के किसी भी तरह के असामान्य व्यवहार या कोई महिला जैसा दिख रहा है, तो उसे लेकर सावधान रहना चाहिए। कई बार पुरुष महिलाओं के कपड़े पहनकर महिला कोट में सवार हो जाते हैं और उनके पास पुरुषों के मुकाबले ज्यादा कीमती सामान होता है।