बिहार में 2019 का लोकसभा का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है। चुनाव को कुछ महीने ही रह गए हैं, लेकिन दोनों गठबंधन में सीटों को लेकर घमासान मचा हुआ है। शुक्रवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि भारतीय जनता पार्टी ...
नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): बिहार में 2019 का लोकसभा का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है। चुनाव को कुछ महीने ही रह गए हैं, लेकिन दोनों गठबंधन में सीटों को लेकर घमासान मचा हुआ है। शुक्रवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, लेकिन अन्य सहयोगी दलों को कितनी सीटें मिलेंगी, इसका ज़िक्र नहीं किया।
जेडीयू को ज़्यादा सीटें देने के खेल में रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की सीटों में कटौती हो गई, जिससे दोनों पार्टी नाराज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, बिहार की 40 संसदीय सीटों के लिए बीजेपी को 17 सीटें, जेडीयू को 17 सीटें, लोक जनशक्ति पार्टी को 5 सीटें और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 1 सीटें मिलने की बात हो रही है।
गौर करने वाली बात है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी को 7 सीटें तो राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 4 सीटें मिली थीं। वहीं 2014 में बीजेपी और जेडीयू के बीच मतभेद हो जाने से जेडीयू ने 17 सालों से चले आ रहे गठबंधन को तोड़ दिया, लेकिन इसका नुकसान जेडीयू को चुनाव में उठाना पड़ा था। जेडीयू को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं।
2014 में बिहार में एनडीए का प्रदर्शन
- बीजेपी ने चुनाव लड़ा 29 सीटों पर
- बीजेपी ने जीती: 22 सीटें
- लोक जनशक्ति पार्टी ने चुनाव लड़ा 7 सीटों पर
- लोक जनशक्ति पार्टी ने जीती : 6 सीटें
- राष्ट्रीय लोक समता ने चुनाव लड़ा 4 सीटों पर
- राष्ट्रीय लोक समता ने जीती: 3 सीटें
- एनडीए का प्रदर्शन : कुल 40 में 31 सीटें जीतीं
2015 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन नीतीश कुमार को यह गठबंधन रास नहीं आया और 2017 में वह फिर से एनडीए के साथ जुड़ गए। 2014 के चुनाव में सिर्फ 2 सीट जीतने वाली और 2015 में साथ छोड़ देने वाली जेडीयू पर बीजेपी की मेहरबानी दोनों पार्टियों को रास नहीं आ रही है। इन दोनों पार्टियों को अपने खेमे में लाने के लिए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कोशिश में लगे हुए हैं। शुक्रवार को लोजपा के सांसद चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव से फ़ोन पर बात की तो उपेंद्र कुशवाहा की तेजस्वी यादव से मुलाकात की खबर भी आई।
महागठबंधन में भी फूट
वहीं, तेजस्वी यादव के अपने महागठबंधन में भी सीटों के बंटवारे को लेकर उठापटक मची हुई है। 2019 के चुनाव के लिए कांग्रेस, राजद, एनसीपी, सपा, बसपा, लेफ्ट, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और शरद यादव के बीच महागठबंधन हुआ था, लेकिन राजद के सीट बंटवारे के फॉर्मूले को लेकर सहयोगी दलों में मतभेद हो गया है। राजद के फॉर्मूले के मुताबिक, राष्टीय जनता दल 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
कांग्रेस को 8 सीटें
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा को 2 सीटें अन्य को 1-1 सीट और अगर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी जुड़ती है तो उसे 3 सीटें मिलेंगी, लेकिन जब चार पार्टी वाली एनडीए में सीटों को लेकर असंतोष पैदा हो सकता है, तो 8 पार्टियों वाले महागठबंधन में सीटों को लेकर सियासी दंगल होना तय है। बसपा ने महागठबंधन से अभी से किनारा कर लिया है। कांग्रेस भी सीटों के फॉर्मूले को लेकर खुश नहीं है।
कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने हाल ही में बिहार में महागठबंधन के अस्तित्व को ही नकार दिया और कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल की 'बी' टीम नहीं है। वहीं समाजवादी पार्टी, लेफ्ट और शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल से जुड़े कई बड़े नेता जो टिकट के दावेदार हैं, वे भी दूसरा विकल्प तलाश रहे हैं। सचमुच बिहार का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है।
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