Edited By shukdev,Updated: 27 Jul, 2018 05:51 PM
कांग्रेस ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड(एचएएल) के साथ हुए समझौते को रद्द कर निजी क्षेत्र की ऐसी कंपनी को ठेका दिया जो समझौते के समय धरातल पर थी ही नहीं।...
नई दिल्ली: कांग्रेस ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड(एचएएल) के साथ हुए समझौते को रद्द कर निजी क्षेत्र की ऐसी कंपनी को ठेका दिया जो समझौते के समय धरातल पर थी ही नहीं। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने कहा कि एनडीए सरकार ने इस सौदे के तहत फ्रांस की कपंनी डसाल्ट एविएशन के साथ संयुक्त उपक्रम में एचएएल को तकनीकी हस्तांतरण के लिए साझीदार बनाया था।
मोदी सरकार ने इस समझौते को रद्द कर दिया और अब रिलायंस डिफेंस लिमिटेड नाम की कंपनी ने डसाल्ट एविऐशन के साथ संयुक्त उपक्रम बनाया है। कंपनी समझौते के समय अस्तित्व में ही नहीं थी। यह कंपनी राफेल सौदा होने के 14 दिन बाद बनी है। उन्होंने कहा कि रिलायंस समूह की कंपनी ने जब इस सौद के लिए आवेदन किया था उस समय तक उसके पास न लाइसेंस था और ना ही अपनी कोई जमीन और ना ही ढांचागत व्यवस्था थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने गुजरात के अमरेनी का जो पता दिया है उस जगह कोई और कंपनी संचालित हो रही है। उस कंपनी का मालिक भी कोई और ही है। प्रवक्ता ने कहा कि रिलायंस समूह को राफेल का कुल 130 लाख करोड़ रुपए का ठेका दिया गया। इसमें एक लाख करोड़ रुपए का ऑफसेट सौदा है जिसके तहत इन विमानों की मरम्मत तथा उनसे संबंधित देखरेख का काम 50 साल तक रिलायंस समूह की इन कंपनियों को ही करना है।