भारत-चीन विवाद: सातवें दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने दिया शांति बनाए रखने पर जोर

Edited By Yaspal,Updated: 13 Oct, 2020 08:27 PM

in the seventh round of talks both sides emphasized on maintaining peace

भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले पांच महीने से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए बातचीत के जरिये सैनिकों को पीछे हटाने सहित टकराव के सभी मुद्दों का जल्द से जल्द सर्वसम्मत समाधान खोजने पर सहमति जतायी है।  भारत और चीन के सैन्य...

नई दिल्लीः भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले पांच महीने से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए बातचीत के जरिये सैनिकों को पीछे हटाने सहित टकराव के सभी मुद्दों का जल्द से जल्द सर्वसम्मत समाधान खोजने पर सहमति जतायी है।  भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार को सातवें दौर की बातचीत के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि दोनों सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और मैत्रीपूर्ण माहौल बनायेंगे तथा मतभेदों को विवादों में नहीं बदलने देंगे।       

भारतीय सीमा के चुशूल क्षेत्र में सोमवार को करीब बारह बजे शुरू हुई बैठक में सेना का प्रतिनिधित्व 14 वीं कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया। उनके साथ लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन भी थे जिन्होंने आज ही इस कोर के प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली है। उन्हें ले़ जनरल सिंह के स्थान पर यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। ले़ जनरल सिंह को सैन्य अकादमी देहरादून की कमान सौंपी गयी है। इन दोनों के साथ विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी भी बातचीत के दौरान मौजूद थे। दोनों पक्षों के बीच गत 21 सितम्बर को हुई छठे दौर की बातचीत में भी ले़ जनरल सिंह तथा विदेश मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे।

बयान कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच जारी सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ साथ तैनात सैनिकों को हटाने के मुद्दे पर गंभीरता से व्यापक और रचनात्मक बातचीत हुई। दोनों पक्षों ने अपनी अपनी बात रखी और उनका कहना है कि बातचीत सकारात्मक, रचनात्मक रही और दोनों ने एक दूसरे के रूख को अच्छी तरह से समझा है।

बयान में कहा गया है कि भारत और चीन दोनों ने ही इस बात पर सहमति जतायी है कि वे सैनिकों को पीछे हटाने के मुद्दे का जल्द से जल्द सर्वसम्मत समाधान निकालने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर संवाद तथा संपर्क बनाये रखेंगे।दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि वे दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण समझ पर आधारित बातों को लागू करेंगे, मतभेदों को विवादों में नहीं बदलने देंगे और सीमा पर शांति तथा मैत्रीपूर्ण माहौल के लिए मिलकर काम करेंगे।  

उल्लेखनीय है कि मई में चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने की कोशिशों के कारण दोनों पक्षों के बीच पिछले पांच महीने से सैन्य गतिरोध बना हुआ है। इसी दौरान दोनों ओर के सैनिकों के बीच गत 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प भी हुई जिसमें भारत के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गये। चीन के भी बड़ी संख्या में सैनिक हताहत हुए हालाकि उसने सार्वजनिक रूप से कभी यह स्वीकार नहीं किया। इस झड़प के बाद सीमा पर बढे तनाव को कम करने के लिए सैन्य , राजनयिक और राजनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है। 

दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच भी बातचीत हुई है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि गतिरोध को बातचीत के जरिये दूर किया जाना चाहिए लेकिन निरंतर हो रही बातचीत का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ रहा है। दोनों ओर के सैनिकों की वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ साथ तैनाती टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा है जिस पर खास प्रगति नहीं हो सकी है। सातवें दौर की बातचीत में भी इस मुद्दे पर किसी प्रगति की बात नहीं कही गयी है। भारत ने चीन पर निरंतर इस बात को लेकर दबाव बनाया हुआ है कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल की यथास्थिति कायम करे और अपने सैनिकों को पीछे हटाए। 

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