दागी नेताओं के चुनाव पर रोक नहीं, SC के फैसले से आडवाणी समेत कई बड़े नेताओं को राहत

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Sep, 2018 01:35 PM

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सुप्रीम कोर्ट ने आज दागी नेताओं के चुनावी भविष्य पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि चार्जशीट के आधार पर जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सिर्फ चार्जशीट ही काफी नहीं है।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज दागी नेताओं के चुनावी भविष्य पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि चार्जशीट के आधार पर जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सिर्फ चार्जशीट ही काफी नहीं है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों का रिकॉर्ड जानने का अधिकार है।
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संविधान पीठ में न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल हैं। कोर्ट के इस फैसले से कई दिग्गज नेताओं को राहत मिलेगी जिन पर आपराधिक मामलों को लेकर चार्जशीट या केस दर्ज हैं। इन नेताओं में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महेश गिरी, पी. करुणाकरन, पी.के श्रीमथी और पप्पू यादव का नाम शामिल है। यहां बता दें कि आडवाणी पर अयोध्या में बाबरी मस्ज़िद गिराए जाने का मामला लखनऊ की सीबीआई अदालत में चला था, साथ में मुरली मनोहर जोशी और भारती पर भी इसी के मद्देनजर मुकद्दमा चला था।
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ये कहा कोर्ट ने

  • संविधान पीठ ने राजनीति के अपराधीकरण पर विराम लगाने के लिए कई दिशानिर्देश भी जारी किए। 
  • चनुाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी ‘मोटे अक्षरों’ में देनी चाहिए।  
  • राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी वेबसाइट पर डाले, साथ ही सोशल मीडिया पर भी इसका प्रचार करे।
  • चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के समक्ष घोषित करे।
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    उल्लेखनीय है कि मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला संविधान पीठ को विचार के लिए भेजा था। याचिकाकर्त्ता ने गुहार लगाई थी कि जिन लोगों के खिलाफ आरोप तय हो गए हों और उन मामलों में पांच साल या उससे ज्यादा सजा का प्रावधान हो, उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाए। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पूछा था कि क्या चुनाव आयोग ऐसी व्यवस्था कर सकता है कि जो लोग आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं उनके बारे में ब्योरा सार्वजनिक किया जाए।

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