ओजोन के कारण दिल्ली-NCR में बढ़ा प्रदूषण, गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे लोग

Edited By Seema Sharma,Updated: 01 Jul, 2019 04:50 PM

increased pollution in delhi ncr due to ozone

राजधानी दिल्ली में इन दिनों लोग ओजोन की वजह से बीमार पड़ रहे हैं। अमूनन ओजोन हमें हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों (UV Rays) से बचाती है लेकिन अगर यह जमीन से नजदीक हो तो यह बेहद खतरनाक होती है। 2016 से 31 मई 2019 तक दिल्ली

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में इन दिनों लोग ओजोन की वजह से बीमार पड़ रहे हैं। अमूनन ओजोन हमें हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों (UV Rays) से बचाती है लेकिन अगर यह जमीन से नजदीक हो तो यह बेहद खतरनाक होती है। 2016 से 31 मई 2019 तक दिल्ली में ओजोन प्रदूषण का बड़ा कारण बना है और इसकी वजह से लोगों को फेफड़ों से संबंधित बीमारियां, आंखों और सीने में जलन और खांसी की दिक्कतें हो रही हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यह जानकारी राज्यसभा में दी। जावडेकर ने स्पष्ट किया कि कार्बन उत्सर्जन के कारण उपजे वैश्विक पर्यावरण संकट की समस्या में भारत अपनी सीमित भागीदारी के बावजूद इस चुनौती से निपटने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
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सोमवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने बताया कि भारत, अपनी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए गैर पारंपरिक स्रोतों पर अपनी निर्भरता को लगातार बढ़ा रहा है। कार्बन उत्सर्जन में भारत की भागीदारी से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में जावडेकर ने कहा कि भारत में सालाना प्रति व्यक्ति उत्सर्जन का स्तर 1.92 टन है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भारत का कार्बन उत्सर्जन 253 करोड़ टन प्रति वर्ष है जो कि चीन के लगभग 1000 करोड़ टन और अमेरिका के लगभग 500 करोड़ टन सालाना उत्सर्जन की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा कि भारत, इस समस्या का कारण नहीं है लेकिन समाधान की दिशा में विश्व के लिये कारगर सहयोगी की भूमिका निभा रहा है।
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दिल्ली-NCR में बढ़ा ओज़ोन प्रदूषण
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल दिल्ली के घनी आबादी वाले इलाके जैसे पटपड़गंज, आरके पुरम, नेहरूनगर, नजफगढ़ और सोनिया विहार के औद्योगिक व निम्न आय वाले लोगों की आबादी वाले इलाकों में ओज़ोन से होनो वाले प्रदूषण की स्थिति सबसे खतरनाक मिली थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो ओजोन बनाने में मदद करने वाली गैस नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) के उत्सर्जन के मामले में पूरी दुनिया में दिल्ली तीसरे स्थान पर है।

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भारत की बढ़ते तापमान पर नजर
जावडेकर ने राज्यसभा में बताया कि पेरिस समझौते के तहत सदी के अंत तक धरती का तापमान दो डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देने के सभी देशों के लक्ष्य को देखते हुए भारत ने 2030 तक अपनी उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35 प्रतिशत कम करने की दिशा में प्रभावी कार्ययोजना को लागू किया है। इसके परिणामस्वरूप भारत में 28 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा और 78 हजार मेगावाट गैर पारंपरिक स्रोतों पर आधारित ऊर्जा का उत्पादन शुरु कर दिया है।

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क्या है ओजोन
ओजोन (OZONE) ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनी है। इसको O3 भी कहते हैं। निचले वातावरण में पृथ्वी के निकट इसकी उपस्थिति प्रदूषण को बढ़ाने वाली और मानव ऊतक के लिए नुकसानदेह है। उद्योगों और वाहनों से निकलने वाली गैस सूर्य की रोशनी के संपर्क में आती है, तो ये धुएं (ओजोन) में बदल जाती है। उद्योगों से निकलने वाला नाइट्रस ऑक्साइड और वाहनों, रासायनिक संयंत्रों, रिफाइनरियों आदि से निकलने वाल हाइड्रोकार्बन यानी VOC सूर्य की किरणों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं तो ओजोन बनती है. इन्हीं सबकी वजह से वातावरण और पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। हालांकि अगर यह पृथ्वी से 10 से 50 किमी की ऊंचाई तक हो तो यह हमारे लिए सुरक्षात्मक ढाल का काम करती है और सूर्य से निकलने वाली हानिकारक यूवी विकिरण से बचाती है। पिछले काफी समय से दिल्ली की हवा पहले के मुकाबले काफी दूषित हो गई है।

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