independence day special: जानिए 1947 की रात 12 बजे क्यों मिली भारत को स्वतंत्रता

Edited By Anil dev,Updated: 14 Aug, 2019 05:09 PM

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साल 1929 में तत्‍कालीन कांग्रेस अध्‍यक्ष जवाहर लाल नेहरु ने जब ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्‍वराज की मांग की थी उस समय 26 जनवरी को स्‍वतंत्रता दिवस के लिए चुना गया था। इसलिए कांग्रेस 1930 से भारत की आजादी तक इसे मनाती रही।

नई दिल्ली: साल 1929 में तत्‍कालीन कांग्रेस अध्‍यक्ष जवाहर लाल नेहरु ने जब ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्‍वराज की मांग की थी उस समय 26 जनवरी को स्‍वतंत्रता दिवस के लिए चुना गया था। इसलिए कांग्रेस 1930 से भारत की आजादी तक इसे मनाती रही। इसलिए सवाल उठता है कि फिर इस दिन ऐसी क्या खास बात थी जो हमें 15 अगस्त, 1947 को रात 12 बजे ही स्वतंत्रता मिली। वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के समय पर अंग्रेजों की आर्थिक हालत बद से बदत्तर हो गई थी। वो अपने देश पर शासन करने में ही असमर्थ हो गए थे। वहीं वर्ष 1945 के ब्रिटिश चुनावों में लेबर पार्टी की जीत ने आजादी के द्वार खोल दिए थे क्योंकि उन्होंने अपने मैनिफेस्टो में भारत जैसी दूसरी इंग्लिश कॉलोनियों को भी आजादी देने की बात कही थी।
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कई मतभेदों और हंगामे के बावजूद भी भारतीय नेताओं की बात लार्ड वेवेल से शुरू हो गई थी और स्वतंत्र भारत का सपना सच होने की कगार पर था। फरवरी, 1947 में लार्ड माउंटबेटन को भारत का आखरी वायसराय चुना गया जिन पर व्यवस्थित तरीके से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का कार्यभार था। वायसराय बनने के तुरंत बाद, लार्ड माउंटबेटन की भारतीय नेताओं से बात शुरू हो गई थी लेकिन ये इतना भी आसान नहीं था। जिन्ना और नेहरू के बीच बंटवारे को लेकर पहले से ही रस्साकशी चल रही थी। जिन्ना ने अलग देश बनाने की मांग रख दी थी जिसकी वजह से भारत के कई क्षेत्रों में साम्प्रदायिक झगड़े शुरू हो गए थे।
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तारीख तय होने के बाद ज्योतिषियों में मच गई खलबली 
माउंटबैटन ने इसकी अपेक्षा नहीं की थी और इससे पहले कि हालात और बिगड़ते, आजादी 1948 की जगह 1947 में ही देने की बात तय हो गई। लार्ड माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानते थे क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय 15 अगस्त, 1945 को जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था और उस समय लार्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज के कमांडर थेजब लार्ड माउंटबैटन ने आजादी मिलने की तारीख 3 जून, 1948 से 15 अगस्त, 1947 कर दी तो देश के ज्योतिषियों में खलबली मच गई। उनके अनुसार ये तारीख अमंगल और अपवित्र थी। लार्ड माउंटबेटन को दूसरी तारीखें भी सुझाई गई थी लेकिन वो 15 अगस्त को ही लेकर अडिग थे। 
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ज्योतिषियों ने 12 बजे का समय किया तय
इसके बाद ज्योतिषियों ने एक उपाय निकाला। उन्होंने 14 और 15 अगस्त की रात 12 बजे का समय तय किया क्योंकि अंग्रेजों के हिसाब से दिन 12 एएम पर शुरू होता है। उन्होंने नेहरू जी को ये भी कहा था कि उन्हें अपनी आजादी की स्पीच अभिजीत मुहूर्त में 11:51 पीएम से 12:39 एएम के बीच ही देनी होगी। इसमें एक और शर्त ये भी थी कि नेहरू जी को अपनी स्पीच रात 12 बजे तक खत्म कर देनी होगी जिसके बाद शंखनाद किया जाएगा, जो एक नए देश के जन्म की गूंज दुनिया तक पहुंचाएगा। 

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