पंजाब केसरी विशेष : 70 साल तक सांपों ने सहेजी भारत-पाक की सांझी विरासत

Edited By Monika Jamwal,Updated: 16 Jan, 2019 06:40 PM

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जम्मू-कश्मीर के ऐतिहासिक पुंछ किले में स्थित जनरल रिकार्ड रूम (मुहाफिजखाना) ऐसी जगह है जहां सांपों ने पिछले 70 साल से भारत और पाकिस्तान की सांझी विरासत को सहेजकर रखा हुआ है।

जम्मू (बलराम सैनी): जम्मू-कश्मीर के ऐतिहासिक पुंछ किले में स्थित जनरल रिकार्ड रूम (मुहाफिजखाना) ऐसी जगह है जहां सांपों ने पिछले 70 साल से भारत और पाकिस्तान की सांझी विरासत को सहेजकर रखा हुआ है। खुद रिकार्ड रूम में कार्यरत कर्मचारियों का मानना है कि यदि रिकार्ड रूम में सांप न होते तो इस बहुमूल्य रिकार्ड को चूहों से बचा पाना संभव न हो पाता और चूहे इस रिकार्ड को कुतर जाते। हालांकि, अभी भी पुराने पुंछ जिले (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में गई अढ़ाई तहसीलों समेत) के 486 गांवों के राजस्व रिकार्ड में से लगभग चार दर्जन गांवों का रिकार्ड चूहों की भेंट चढ़ चुका है। अब पुंछ जिला प्रशासन ने इस रिकार्ड को डिजीटल करने का बीड़ा उठाया है। 

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सूत्रों के अनुसार वर्ष 1947 में आजादी के साथ हुए देश विभाजन से पहले पुंछ जिले (पुंछ रियासत) में चार तहसीलें थीं, जिनमें हवेली एवं मेंढर तहसीलें भारत में रह गईं, जबकि नियंत्रण रेखा के पार सतनौती एवं बाग तहसीलें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र (पाक अधिकृत कश्मीर) में चली गईं। इतना ही नहीं, भारतीय क्षेत्र में आईं हवेली और मेंढर तहसीलों के कुछ गांव भी पाक अधिकृत कश्मीर में चले गए। 
इस प्रकार, पुराने पुंछ जिले की करीब अढ़ाई तहसीलों पर पाकिस्तान का कब्जा हो गया, जबकि भारत के पास केवल डेढ़ तहसील की बच पाई। इन सभी चारों तहसीलों का भूमि राजस्व रिकार्ड पुंछ के ऐतिहासिक किले में स्थित रिकार्ड रूम में रखा है। रिकार्ड रूम में रखे गए 486 गांवों के रिकार्ड में से भारतीय क्षेत्र के केवल 188 गांवों का ही रिकार्ड है, जबकि शेष 298 गांव पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से संबंधित हैं। 

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पाकिस्तानी को नहीं, भारतीय रिश्तेदार को मिलता है रिकार्ड
पुंछ स्थित जनरल रिकार्ड रूम के प्रभारी किफायत हुसैन सोफी ने बताया कि पाक अधिकृत कश्मीर में पडऩे वाले पुराने पुंछ जिले के विभिन्न गांवों के लोग चक्कां-दा-बाग के रास्ते पुंछ और रावलाकोट के बीच चलने वाली राह-ए-मिलन बस सेवा के जरिए रिकार्ड लेने आते हैं, लेकिन रिकार्ड रूम से इन लोगों को सीधे तौर पर रिकार्ड मुहैया नहीं करवाया जाता। इन लोगों को भारत में रहने वाले अपने स्थानीय रिश्तेदार के माध्यम से आवेदन करना पड़ता है। फिर उसके पिता, दादा, परदादा एवं लकड़दादा के नामों की पुष्टि होने के बाद ही उसे रिकार्ड उपलब्ध करवाया जाता है।

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कर्मचारियों को बरतनी पड़ती है सतर्कता
पुंछ स्थित रिकार्ड रूम में सांपों का डेरा होने के कारण कर्मचारियों को बहुत सतर्कता से काम करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि अभी एक महीना पहले ही जब एक कर्मचारी रिकार्ड रूम में दस्तावेज लेने गया तो कागजों के पीछे से सांप निकल जाने पर उसे छलांग लगाकर जान बचानी पड़ी। 

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2003 में कटवा दी गई रिकार्ड रूम की बिजली
वर्ष 2003 में जनरल रिकार्ड रूम का रखरखाव करने वाले कर्मचारियों ने प्रशासन से आग्रह करके रिकार्ड रूम का बिजली कनैक्शन कटवा दिया था। इसका मुख्य कारण था लकड़ी पर पुरानी वायरिंग होना जिससे शॉर्ट सर्किट होकर रिकार्ड के जल जाने की आशंका बनी रहती थी। इसके बाद न तो नई वायरिंग हुई और न ही बिजली कनैक्शन मिला। इसके चलते अब कर्मचारी टॉर्च (बैटरी) की रोशनी में लोगों के राजस्व दस्तावेज ढूंढ़ते हैं। PunjabKesari

 
38 लाख पेज होंगे डिजीटल, लगेगा काफी समय
जनरल रिकार्ड रूम के प्रभारी किफायत हुसैन सोफी ने बताया कि राजस्व रिकार्ड के करीब 38 लाख पेजों का स्कैन करके डिजीटल किया जाना है। जिला प्रशासन की पहल पर 2 वर्ष के अर्से में अब तक नक्शों समेत करीब 7 लाख पेज डिजीटल किए जा चुके हैं। इनका क्वालिटी चैक चल रहा है। इन पेजों को स्कैन करने से पहले प्रैस करके सीधा किया जाता है। निश्चित तौर पर यह कार्य पूरा होने में काफी समय लग जाएगा। इसके अलावा जिन गांवों का राजस्व रिकार्ड खराब हो गया है, उसकी दूसरी प्रति हासिल करने के लिए संबंधित पटवारियों से संपर्क साधा जा रहा है। राजस्व रिकार्ड खराब होने वाले करीब चार दर्जन गांवों में 5-6 गांव भारतीय क्षेत्र से भी संबंधित हैं। 
 
 

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