2+2 वार्ता: आतंकवाद पर भारत-अमेरिका साथ, दोनों देशों के बीच हुए कई समझौते

Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Sep, 2018 03:52 PM

india and us first two plus two talks today

भारत-अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ बैठक के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रैस कॉन्फ्रैंस करके बताया कि आमेरिका के साथ आतंकवाद पर चर्चा हुई। वहीं भारत-अमेरिका में अहम सैन्य समझौते भी हुए, साथ ही COMCASA पर भी दस्तखत किए गए।

नई दिल्लीः भारत और अमेरिका ने आज एक करार पर हस्ताक्षर कर दिए जिस पर लंबे समय से दोनों पक्ष चर्चा कर रहे थे। इस करार के तहत भारतीय सेना को अमेरिका से महत्वपूर्ण एवं एन्क्रिप्टिड (कूट रूप से सुरक्षित) रक्षा प्रौद्योगिकियां मिलेंगी। अधिकारियों ने यहां बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अमेरिकी विदेश मंत्री एम आर पोम्पिओ तथा रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता के बाद ‘संचार, संगतता, सुरक्षा समझौते’ (कम्यूनिकेशन्स कॅम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट... कॉमकासा) पर हस्ताक्षर किए गए।
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सीओएमसीएएसए (कॉमकासा) करार होने से भारत को अमेरिका से महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियां हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा और अमेरिका तथा भारतीय सशस्त्र बलों के बीच अंतर-सक्रियता के लिए महत्वपूर्ण संचार नेटवर्क तक उसकी पहुंच होगी। अधिकारियों ने कहा कि इससे अमेरिका से मंगाये जा रहे रक्षा प्लेटफॉर्मों पर उच्च सुरक्षा वाले अमेरिकी संचार उपकरणों को लगाया जा सकेगा।

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2+2 वार्ता की Highlights

व्यापार से लेकर रक्षा क्षेत्र पर चर्चा 

  • दोनों देशों ने रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच हॉटलाइन शुरू करने का भी निर्णय लिया है जिससे दोनों रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच सीधा संपर्क स्थापित हो जाएगा। 
  • दोनों देशों की तीनों सेनाओं के बीच पहली बार अगले वर्ष भारत में संयुक्त सैन्य अभ्यास के आयोजन का भी फैसला किया गया। यह अभ्यास देश के पूर्वी तट पर किया जाएगा। 
  • कॉमकासा रक्षा समझौता भारत की क्षमताओं को बढ़ाएगा : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण। 
  • हमारी वार्ता के दौरान सीमा-पार आतंकवाद के मुद्दे पर भी चर्चा हुई : स्वराज
  • एच1बी वीजा के मुद्दे पर सुषमा ने कहा : अपने मजबूत संबंधों को देखते हुए भारत ने अमेरिका के समक्ष यह उम्मीद जताई कि वह भारतीयों के हितों के खिलाफ काम नहीं करेगा।
  • पोम्पिओ ने कहा कि दोनों पक्षों को समुद्री क्षेत्र की आजादी सुनिश्चित करनी चाहिए और समुद्री विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करना चाहिए। उनका इशारा दक्षिण चीन सागर में चीन के विस्तारवादी रवैये की ओर था।      
  • पोम्पिओ ने बाजार आधारित अर्थशास्त्र तथा सुशासन को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। 


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उल्लेखनीय है कि ईरान से कच्चे तेल के आयात पर अमेरिकी पाबंदी और रूस से एस-400वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने की भारत की योजना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। इससे पहले आज सुबह स्वराज और सीतारमण ने क्रमश: पोम्पिओ तथा मैटिस से अलग-अलग मुलाकात की। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बैठकों में कई प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई।PunjabKesari

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