भारत और चीन में होती हैं वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौतें

Edited By Anil dev,Updated: 20 Apr, 2018 10:53 AM

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भारत और चीन दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं लेकिन दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली असामयिक मौतों में से आधी इन दोनों देशों में होती हैं। हालिया एक अमरीकी अध्ययन की रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है। अमरीका स्थित...

जालंधर(सोमनाथ): भारत और चीन दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं लेकिन दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली असामयिक मौतों में से आधी इन दोनों देशों में होती हैं। हालिया एक अमरीकी अध्ययन की रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है। अमरीका स्थित हैल्थ इफैक्ट्स इंस्टीच्यूट की स्टेट ऑफ  ग्लोबल एयर स्टडी मंगलवार को जारी की गई है जिसमें यह भी पाया गया कि बढ़ते वायु प्रदूषण के साथ उम्रदराज आबादी की वजह से भारत और चीन खराब वायु के मामले में एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी बन गए हैं। 
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चीन में प्रदूषण के कारण प्रति 1 लाख लोगों पर 146 हुई थीं मौतें 
रिपोर्ट के मुताबिक चीन में पी.एम.-2.5 प्रदूषण का स्तर अब स्थिर होना शुरू हो गया है और लोगों का इससे संपर्क भी घट रहा है लेकिन भारत में भारी बढ़ौतरी देखी जा रही है। हालांकि प्रति लाख पर मृत्यु दर दोनों देशों में घट रही है।  साल 1990 में चीन में प्रदूषण के कारण प्रति 1 लाख लोगों पर 146 मौतें हुई थीं। ये घटकर साल 2016 में 80 हो गई हैं। दूसरी तरफ  भारत में साल 1990 से 2010 के बीच मृत्यु दर लगातार गिरकर 150 से 123 हुई लेकिन यह दर साल 2010 से 2016 के बीच 6 वर्षों में बढ़ी। अध्ययन के अनुसार यह भी कहा गया है कि भारत और चीन जल्द ही घर के बाहर के वायु प्रदूषण और घर के वायु प्रदूषण की वजह से दोहरा बोझ झेल सकते हैं। साल 2016 में 2.45 अरब लोग (वैश्विक आबादी का 33.7 प्रतिशत हिस्सा) घर के अंदर के प्रदूषण के संपर्क  में थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन की क्रमश: 43 प्रतिशत और 30 प्रतिशत आबादी खाना बनाने के लिए मिट्टी का तेल, कोयला आदि जैसे ठोस ईंधन का इस्तेमाल करता है जिसकी वजह से अधिकांश लोग घरों में भी वायु प्रदूषण के संपर्क में आते हैं। साल 2016 में भारत में यह संख्या 56 करोड़ और चीन में 41.6 करोड़ थी। रिपोर्ट में यह भी माना गया है कि भारत सरकार ने वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए एक्शन लेने शुरू कर दिए हैं लेकिन साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत को कड़े कदम उठाने होंगे ताकि प्रदूषण कम हो सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की 7 अरब यानी 95 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खराब वायु वाले इलाकों में रहती है। 

प्रदूषण के चलते एशिया में बीमारी और वक्त से पहले हो रहीं मौतें: जर्मनी
पिछले साल जर्मनी में हुई एक रिसर्च में कहा गया था कि अगर हवा को साफ  करने के लिए कुछ किया नहीं गया तो 2050 तक दुनिया भर में सालाना 60 लाख से ज्यादा लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक जहरीली हवा लोगों को बीमार कर रही है।  दुनिया भर में हर साल 30 लाख से ज्यादा लोगों की वायु प्रदूषण से मौत होती है। सबसे ज्यादा मौतें एशिया में होती हैं। जर्मनी के माइंस शहर में माक्स प्लांक इंस्टीच्यूट के निदेशक प्रोफैसर योहानेस लेलीफेल्ड के मुताबिक वायु प्रदूषण से एशिया में होने वाली सबसे ज्यादा मौतों की वजह यह है कि हवा तो खराब है ही, आबादी का घनत्व भी ज्यादा है। बड़े शहरों में बहुत से लोगों को सूक्ष्म धूलकणों का सामना करना पड़ता है और इसका नतीजा बीमारी व वक्त से पहले मौत के रूप में सामने आता है। 

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