कश्‍मीर पर रूस ने फिर कहा, यह भारत-पाक का आपसी मामला

Edited By Ashish panwar,Updated: 17 Jan, 2020 06:30 PM

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रूस ने एक बार फिर कश्मीर मसले पर भारत का साथ दिया है। रूस ने, चीन द्वारा कश्मीर के मामले को  संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में उठाए जाने की कोशिशों पर यह कहते हुए विराम लगा दिया कि, यह दोनों देशों का आपसी मामला है। रूस ने भारत के रुख का समर्थन...

नेशनल डेस्कः रूस ने एक बार फिर कश्मीर मसले पर भारत का साथ दिया है। रूस ने, चीन द्वारा कश्मीर के मामले को  संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में उठाए जाने की कोशिशों पर यह कहते हुए विराम लगा दिया कि, यह दोनों देशों का आपसी मामला है। रूस ने भारत के रुख का समर्थन किया है। रूसी राजदूत निकोले कुदाशेव ने शुक्रवार को चीन और पाकिस्‍तान को आइना दिखाते हुए दो टूक कहा कि यह एक द्विपक्षीय मसला है। उन्‍होंने कहा कि, जहां तक UNSC के भीतर चर्चा का सवाल है तो रूस इस मसले को संयुक्त राष्ट्र के अजेंडे में लाने के पक्ष में कभी नहीं रहा है। शिमला समझौते और लाहौर घोषणा पत्र के अनुसार यह भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मसला है। विदेशी दूतों के कश्‍मीर दौरे पर उन्‍होंने कहा कि यह आपका फैसला है। इस बारे में निर्णय लिया जाना आपका अंदरूनी मामला है जो भारत के संविधान से जुड़ा है। जहां तक मेरे कश्‍मीर जाने का सवाल है तो मैं समझता हूं कि मेरे वहां जाने की कोई वजह नहीं है। 

 

उल्‍लेखनीय है कि बीते बुधवार को कश्मीर मुद्दे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC में ले जाने की चीन और पाकिस्‍तान की कोशिश एकबार फ‍िर नाकाम हो गई। सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान के सहयोगी चीन ने इस इनडोर बैठक के लिए दवाब बनाया। इस पर अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस ने चीन के अरमानों पर पानी फेर दिया। इन देशों ने इस मसले पर जारी सभी विवादों को भारत और पाकिस्तान को ही द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने को कहा। बता दें कि अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं। 

 

इससे पहले भी पाकिस्‍तान अपने मित्र चीन की मदद से ऐसी कोशिशें कर चुका है। पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाते हुए इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। तब चीन ने इस मसले पर यूएनएससी की इनडोर बैठक बुलाई थी। तब भी चीन और पाकिस्तान को कुछ भी हासिल नहीं हुआ था क्योंकि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इसे भारत का आंतरिक मसला करार देते हुए कोई भी कार्रवाई से इनकार कर दिया था। पिछले साल दिसंबर में भी चीन ने ऐसी बैठक की गुजारिश की थी लेकिन तब भी बैठक नहीं हुई थी। 

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