Edited By Tanuja,Updated: 27 Jun, 2022 12:43 PM
भारत ने अफगानिस्तान में भूकंप पीड़ितों कोराहत सामग्री की दूसरी खेप पहुंचा दी है। केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने भी एक ट्वीट के माध्यम से घोषणा की कि,...
काबुल: भारत ने अफगानिस्तान में भूकंप पीड़ितों कोराहत सामग्री की दूसरी खेप पहुंचा दी है। केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने भी एक ट्वीट के माध्यम से घोषणा की कि, “भूकंप के बाद भारत द्वारा भेजी गई राहत सामग्री की दूसरी खेप शुक्रवार सुबह अफगानिस्तान पहुंच गई है”। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्वीट के माध्यम से कहा, “अफगानिस्तान के लोगों के लिए भारत की भूकंप राहत सहायता की दूसरी खेप काबुल पहुंची।” अफगानिस्तान में तालिबान नेतृत्व ने समर्थन के लिए भारत को धन्यवाद दिया और काबुल में अपने दूतावास में राजनयिकों और तकनीकी टीमों को वापस लाने की पहल का स्वागत किया है।
अफगानिस्तान को भेजी गई राहत सामग्री में फैमिली रिज टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, स्लीपिंग मैट आदि शामिल हैं। वस्तुओं को काबुल में मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCHA) और अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी (ARCS) को सौंपा जाएगा। भारत ने पुनः दोहराया है कि संकट की इस घड़ी में वह अफगानिस्तान के साथ खड़ा रहेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा, “ अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारे सदियों पुराने संबंध हैं, और अफगान लोगों को तत्काल राहत सहायता प्रदान करने के लिए हम दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।”
मानवीय सहायता के प्रभावी वितरण को सुनिश्चित करने के लिए भारत ने वहाँ दो तकनीकी टीमों को तैनात किया है। टीम गुरुवार को काबुल पहुंची और खुद को दूतावास में तैनात कर लिया है। टीम के काबुल दौरे से पहले, सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के लिए एक अलग टीम ने भी अफगानिस्तान का दौरा किया था। भारत ने इससे पहले राहत सामग्री की एक और खेप भेजी थी जो गुरुवार शाम को अफगानिस्तान पहुंची। विदेश मंत्रालय ने भूकंप से प्रभावित लोगों तक पहुंचाने के लिए तैयार की जा रही खेप की तस्वीरें भी साझा कीं।
भारत ने अफगानिस्तान को 27 टन आपातकालीन राहत सहायता भेजी है। अफगानिस्तान के “पक्तिका” प्रांत में रिएक्टर पैमाने पर 6.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए और 1,500 से अधिक घायल हो गए थे। यह संकट और भी बढ़ गया जब भूक्ंप के बाद बाढ़ ने भी तबाही मचा दी ।बता दें कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर प्रतिबंध लगाने के बाद से देश आर्थिक पतन की ओर बढ़ गया है। यहाँ के नागरिक पहले से हीं खाद्य संकट से पीड़ित हैं।