Edited By shukdev,Updated: 17 Jul, 2019 09:06 PM
परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष आर चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि भारत को और परमाणु परीक्षण करने की जरूरत नहीं है क्योंकि पोकरण में 1998 में किए गए परीक्षण से मनमाफिक परिणाम हासिल किए जा चुके हैं। चिदंबरम ने कहा,‘और परीक्षणों की
नई दिल्ली: परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष आर चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि भारत को और परमाणु परीक्षण करने की जरूरत नहीं है क्योंकि पोकरण में 1998 में किए गए परीक्षण से मनमाफिक परिणाम हासिल किए जा चुके हैं। चिदंबरम ने कहा,‘और परीक्षणों की जरूरत नहीं है। हमने प्रत्येक पहलू को लेकर परीक्षण किए और जो चाहिए था वह हासिल किया।' चिदंबरम 1998 में परमाणु परीक्षण के दौरान परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे। वह राष्ट्रीय सुरक्षा पर ‘जसजीत सिंह मेमोरियल लेक्चर' के बाद सवालों के जवाब दे रहे थे। इसका आयोजन ‘सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज' ने किया था। भारत ने दो परमाणु परीक्षण किए हैं। पहला 1974 में और दूसरा 1998 में।
इन परीक्षणों के बाद भारत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे थे। चिदंबरम ने कहा कि भारत का परमाणु कार्यक्रम मजबूत था और इस पर पश्चिम के प्रतिबंधों का असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा,‘हम और मजबूत बने।' उन्होंने जोर दे कर कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। इस परिप्रेक्ष्य में भारत अमेरिका परमाणु सहयोग समझौता अहम था। इससे भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के दिशानिर्देशों में ढ़ील मिलने और यूरेनियम मंगाने में मदद मिली। भारत और अमेरिका के बीच 2008 में हुए समझौते के बाद भारत को अपने परमाणु रिएक्टरों को चलाने के लिए फ्रांस, रूस, कजाखिस्तान और कनाडा से यूरेनियम मिला। चिदंबरम ने कहा कि राष्ट्रीय विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा,‘सुरक्षा के बिना विकास अर्थहीन है।'