भारत-फ्रांस में आतंकवाद तथा हिंद-प्रशांत चुनौतियों से  निपटने पर बनी सहमति

Edited By Tanuja,Updated: 05 May, 2022 03:35 PM

india france discuss challenges in indo pacific

भारत और फ्रांस ने आतंकवाद के खतरे से निपटने और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बदलते तेवरों की वजह से उत्पन्न चुनौतियों...

पेरिसः भारत और फ्रांस ने आतंकवाद के खतरे से निपटने और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बदलते तेवरों की वजह से उत्पन्न चुनौतियों का एकजुट होकर सामना करने को लेकर सहमत जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच यहां बुधवार को हुई बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देश लोकतंत्र, मौलिक स्वतंत्रता, कानून का राज और मानवाधिकारों के सम्मान के साझा मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध हैं। 

 

बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए भारत और फ्रांस ने प्रमुख रणनीतिक साझेदारियों में से एक पर काम करना तय किया है। संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देश एक स्वतंत्र, मुक्त और कानून आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र चाहते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून, संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान, नौवहन की स्वतंत्रता पर आधारित हो और बलपूर्वक शासन, तनाव तथा संघर्ष से मुक्त हो। भारत, अमेरिका और विश्व की अन्य शक्तियां संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीनी सेना के बढ़ते हस्तक्षेप की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, मुक्त और संपन्न हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने को लेकर वार्ता करते रहे हैं।

 

 चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी उसके कुछ हिस्सों पर अपना दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान स्थापित किए हैं। पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद है। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत साझेदारी में रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, निवेश, सम्पर्क, स्वास्थ्य और स्थिरता से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। द्विपक्षीय सहयोग के अलावा, भारत और फ्रांस क्षेत्र के विभिन्न संगठनों और समान विचारधारा वाले देशों के साथ विभिन्न स्वरूपों में नई साझेदारी विकसित करना जारी रखेंगे।''

 
 
जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता जताई
भारत और फ्रांस ने पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूती के साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता जतायी है। साथ ही दोनों देशों ने इस संबंध में बढ़ती वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये पर्यावरण-हितैषी प्रौद्योगिकियां विकसित करने पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैक्रों से साथ यहां वार्ता की, जिसके बाद दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि चूंकि अक्षय ऊर्जा विकास जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिये प्रमुख समाधानों में से एक है, लिहाजा भारत और फ्रांस ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के उद्देश्यों के प्रति अपने समर्थन को दोहराया है।  

 

छात्रों, कुशल कामगारों की आवाजाही संयुक्त रूप से बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की
भारत और फ्रांस ने छात्रों, कुशल कामगारों और पेशेवरों की आवाजाही को संयुक्त रूप से बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की तथा दोनों देशों के बीच अनियमित प्रवासन का मुकाबला करने के प्रयासों को मजबूत बनाने पर जोर दिया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच बुधवार को हुई वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देशों ने आवाजाही एवं प्रवासन संबंधी साझेदारी समझौता को लागू करने पर पूरी प्रतिबद्धता व्यक्त की जो एक अक्टूबर 2021 से प्रभाव में आया है।

 

इस समझौते का मकसद आवाजाही पर आधारित चक्रीय प्रवासन को अस्थायी तौर पर सुगम बनाना तथा अपने देश में कौशल की वापसी को प्रोत्साहित करना है । संयुक्त बयान के अनुसार, ‘‘छात्रों की द्विपक्षीय आवाजाही के फायदे को स्वीकार करते हुए फ्रांस अपने यहां वर्ष 2025 तक 20 हजार भारतीय छात्रों को जोड़ने का लक्ष्य रखता है जिससे दोनों देशों के बीच नये कारोबार, स्टार्ट अप और नवाचार के अवसर सृजित होंगे । '' 

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