Edited By ,Updated: 14 Dec, 2016 12:03 PM
भारत एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार करने वाले अपने इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-V का परीक्षण करने की तैयारी में लगा हुआ है।
नई दिल्लीः भारत एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार करने वाले अपने इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-V का परीक्षण करने की तैयारी में लगा हुआ है। जल्द ही ओडिशा के वीलर आइलैंड से इसका परीक्षण किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, टेस्ट के लिए तैयारियां आखिरी चरण में हैं। इस मिसाइल के दायरे में पूरा चीन होगा, जिसकी वजह से इस टेस्ट को रणनीतिक तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है।
लॉन्च की तैयारियां तेज
रक्षा सूत्रों ने बताया कि लॉन्च की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं। न्यूक्लियर वॉरहेड ढोने में सक्षम इस मिसाइल का टेस्ट दिसंबर के आखिर में या जनवरी की शुरुआत में मुमकिन है। बता दें कि इस मिसाइल को एक लॉन्चर ट्रक पर रखे कनस्तर से छोड़ा जा सकता है। सूत्रों ने बताया, 'आखिरी बार किए गए टेस्ट के वक्त अग्नि-V में कुछ हल्की तकनीकी खामियां नजर आई थीं। इसके बाद, मिसाइल की बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को दुरुस्त किया गया है।'
अग्नि-V और खतरनाक
एक बार अग्नि-V के सेना में शामिल होते ही भारत आईसीबीएम मिसाइलों (5000-5500 km रेंज) वाले बेहद सीमित देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। इन देशों में अमरीका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं। एसएफसी ने छोटी रेंज के पृथ्वी और धनुष मिसाइलों के अलावा अग्नि-I, अग्नि-II, अग्नि-III मिसाइल को सेना में शामिल किया है। इन मिसाइलों का मुख्य मकसद पाकिस्तान की ओर से किसी भी गलत हरकत का माकूल जवाब देना है। वहीं, अग्नि-IV और अग्नि-V जैसे मिसाइल चीन के खिलाफ रणनीतिक बढ़त हासिल करने में मददगार हैं।
कूटनीतिक बढ़त पर भी नजर
हालांकि, भारत अपनी ओर से रणनीतिक संयम भी दिखाना चाहता है क्योंकि उसकी नजर 48 देशों की सदस्यता वाले न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) का हिस्सा बनने पर है। भारत के एनएसजी का सदस्य बनने की राह में चीन ने रोड़ा अटकाया था। हालांकि, भारत को उस वक्त एक बड़ी कामयाबी मिली, जब उसे 34 देशों वाले मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजिम का हिस्सेदार बनाया गया। इसके अलावा, हाल ही में जापान के साथ भारत ने सिविल न्यूक्लियर अग्रीमेंट भी किया है।