लद्दाख मुद्दे पर भारत को मिला अमेरिका का साथ, बौखलाया चीन बोला- इस विवाद में तीसरा पक्ष ना दे दखल

Edited By vasudha,Updated: 28 Oct, 2020 12:22 PM

india got support of america on border dispute

भारत और अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू'' वार्ता के तीसरे संस्करण में पूर्वी लद्दाख और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी सेना की आक्रामकता का मुद्दा प्रमुखता से उठा। अमेरिका ने कहा कि अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता की सुरक्षा के भारत के प्रयासों में वह उसके...

नेशनल डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू' वार्ता के तीसरे संस्करण में पूर्वी लद्दाख और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी सेना की आक्रामकता का मुद्दा प्रमुखता से उठा। अमेरिका ने कहा कि अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता की सुरक्षा के भारत के प्रयासों में वह उसके साथ खड़ा है। हालांकि अमेरिका के इस बयान के बाद चीन तिलमिला उठा है।

 

दोनों देश विवाद को सुलझाने में सक्षम: चीन
चीन ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी भी तीसरे पक्ष के दखल के लिए कोई जगह नहीं है। चीनी दूतावास ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद द्विपक्षीय है। कूटनीतिक स्तर पर और दोनों सेनाओं के अधिकारियों द्वारा इसका हल निकाला जा रहा है। भारत और चीन इस विवाद को सुलझाने में सक्षम हैं। इस विवाद में किसी तीसरे के दखल के लिए कोई जगह नहीं है। 

 

‘टू प्लस टू' वार्ता में आतंकवाद का उठा मुद्दा
बता दें कि भारत अमेरिका ने अपने सुरक्षा संबंधों को और बढ़ाने का संकल्प जताते हुए रणनीतिक रक्षा समझौते बीईसीए पर मुहर लगाई है। उच्चस्तरीय बैठक में भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया जबकि अमेरिकी पक्ष का प्रतिनिधित्व वहां के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर कर रहे थे। दोनों देशों ने छद्म रूप से आतंकवादियों का इस्तेमाल करने वालों की निंदा की और पाकिस्तान से कहा कि वह 26/11 के मुंबई, उरी और पठानकोट समेत सभी आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के दायरे में लेकर आए। दोनों पक्षों के शीर्ष सैन्य और रक्षा अधिकारियों ने इसमें सहयोग दिया। 

 

पोम्पिओ ने की चीन की आलोचना 
चीन की कटु आलोचना करते हुए पोम्पिओ ने चीनी सेना के साथ पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में संघर्ष में 20 भारतीय सैन्य कर्मियों के मारे जाने का उल्लेख किया और कहा कि अमेरिका और भारत न सिर्फ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा उत्पन्न बल्कि सभी तरह के खतरों से निपटने के लिये सहयोग बढ़ाने के लिये कदम उठा रहे हैं। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा कि बातचीत का एक अहम मुद्दा दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में चीन का 'विस्तारवादी व्यवहार' रहा। दोनों ने अपने साझा नजरिये और हितों के तहत क्षेत्र और उससे इतर सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये दृढ़ता से साथ चुनौतियों का सामना करने का संकल्प व्यक्त किया। 
 

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