'अंतरिक्ष की फौज' बनाने की तैयारी में भारत, दुश्मन की हर हरकत पर होगी नजर

Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Apr, 2019 11:08 AM

india in preparation for  army of space

ऐंटी-सैटलाइट (ASAT) मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद अतंरिक्ष में देश को मजबूत करने के लिए भारत अभी और प्रोजेक्स पर काम कर रहा है। अंतरिक्ष में भारत की सुरक्षा ताकत बढ़ाने का जिम्मा इसरो और डीआरडीओ को सौंपा गया है।

नेशनल डेस्कः ऐंटी-सैटलाइट (ASAT) मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद अतंरिक्ष में देश को मजबूत करने के लिए भारत अभी और प्रोजेक्स पर काम कर रहा है। अंतरिक्ष में भारत की सुरक्षा ताकत बढ़ाने का जिम्मा इसरो और डीआरडीओ को सौंपा गया है। ऐंटी-सैटलाइट (ASAT) मिसाइल का सफल परीक्षण इसी कड़ी का एक हिस्सा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डा. जी सतीश रेड्डी ने शनिवार को कहा कि अभी हम DEWs, लेजर्स, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (EMP) और को-ऑर्बिटल वेपंस समेत कई तकनीक पर काम कर रहे हैं, हालांकि इसकी पूरी जानकारी अभी हम साझा नहीं कर सकते। रेड्डी ने कहा कि वैश्विक अंतरिक्षीय संपत्तियों को मलबे के खतरे से बचाने के लिए 27 मार्च को किए गए मिशन शक्ति के दौरान 300 किलोमीटर से भी कम दायरे वाली निम्न कक्षा का चयन किया गया।

रेड्डी ने कहा कि मिसाइल में 1,000 किलोमीटर के दायरे वाली कक्षा में उपग्रहों को रोकने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि परीक्षण के बाद पैदा हुआ मलबा कुछ हफ्तों में नष्ट हो जाएगा। वहीं वैज्ञानिक अब भविष्य में लॉन्च होने वाले उपग्रहों की योजनाओं पर काम कर रहे हैं। डीआरडीओ हवा और जमीन पर विभिन्न लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता वाले हाई-एनर्जी लेजर्स और हाई पावर्ड माइक्रोवेव्स जैसे DEWs पर लंबे समय से काम कर रहा है। उल्लेखनीय है कि ऐंटी-सैटलाइट (ASAT) मिसाइल परीक्षण के ठीक 11 दिन बाद डा. रेड्डी ने इसके सभी तकनीकी पहलुओं की जानकारी देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रैंस बुलाई थी। जिसमें नासा के संदेह का भी जवाब दिया गया। नासा ने कुछ दिन पूर्व कहा था कि मिशन शक्ति के 400 टुकड़े देखे गए हैं जोकि स्पेस के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।

डीआरडीओ ने इसका भी जवाब दिया कि टुकड़े 45 दिनों में खुद-ब-खुद नष्ट हो जाएंगे। वहीं परीक्षण को गोपनीय नहीं रखने के सवाल पर रेड्डी ने कहा कि हम ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि उपग्रहों पर अनेक देशों की नजर होती है। उन्होंने कहा कि इस मिशन पर सबसे पहले बातचीत वर्ष 2014 में शुरू हुई थी और सरकार ने 2016 में इसे मंजूरी दी। दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने इस उपलब्धि का खुलेआम ऐलान किए जाने की आलोचना करते हुए कहा था कि उपग्रह को मार गिराने की क्षमता कई सालों से थी। विवेकशील सरकार इस तरह की क्षमता को गोपनीय रखेगी। केवल विवेकहीन सरकार ही इसका खुलासा करेगी और सुरक्षा गोपनीयता के साथ विश्वासघात करेगी। बता दें कि मिशन शक्ति के बाद भारत अतंरिक्ष में और मजबूत हो गया है। भारत से पहले चीन और अमेरिका यह परीक्षण कर चुका है।

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