Edited By shukdev,Updated: 22 Feb, 2019 05:27 PM
सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ हुई जल संधि के तहत पूर्वी नदियों के पानी का 95 प्रतिशत इस्तेमाल किया जा रहा है और शेष पांच फीसदी पानी का उपयोग करने के लिए तीन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ...
नई दिल्ली: सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ हुई जल संधि के तहत पूर्वी नदियों के पानी का 95 प्रतिशत इस्तेमाल किया जा रहा है और शेष पांच फीसदी पानी का उपयोग करने के लिए तीन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी के रावी नदी के अपने हिस्से का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने संबंधी बयान के बाद मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जल संसाधन मंत्री ने पहले भी कई बार इस तरह की बात कही हैं और इसमें कुछ भी नया नहीं है।
इस बीच मंत्रालय ने शुक्रवार को जल बंटवारे के संबंध में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि 1960 की सिंधु नदी जल संधि के तहत सिंधु नदी की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया है। सतलज, व्यास और रावी को पूर्वी और झेलम, चिनाब तथा सिंधु को पश्चिमी नदी माना गया है। सतलुज, रावी और व्यास जैसी पूर्वी नदियों का पानी पूरी तरह इस्तेमाल के लिए भारत को दे दिया गया जबकि पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया। समझौते के मुताबिक पूर्वी नदियों का पानी, कुछ अपवादों को छोड़े दें, तो भारत बिना रोकटोक के इस्तेमाल कर सकता है।
भारत से जुड़े प्रावधानों के तहत रावी सतलुज और व्यास नदियों के पानी का इस्तेमाल परिवहन, बिजली और कृषि के लिए करने का अधिकार भारत को दिया गया। मंत्रालय ने कहा कि जिन पूर्वी नदियों के पानी का अधिकार भारत को मिला था उसके तहत सतलुज पर भाखड़ा, व्यास पर पोंग तथा पंदु और रावी नदी पर रंजीत सागर बांध बनाया गया। अपने हिस्से के पानी का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए व्यास-सतलुज ङ्क्षलक, इंदिरा गांधी नहर और माधोपुर-व्यास ङ्क्षलक परियोजनाएं भी बनाई गई। इससे भारत को पूर्वी नदियों का करीब 95 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल करने में मदद मिली। हालांकि रावी नदी का काफी पानी हर साल बिना इस्तेमाल के पाकिस्तान जा रहा है।