Edited By vasudha,Updated: 09 Apr, 2021 12:58 PM
भारत और मालदीव ने वीरवार को सीमापार आतंकवाद समेत दहशतगर्दी के सभी स्वरूपों की पुरजोर निंदा की और सतत तरीके से इस समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की जरूरत बताई। दोनों देशों ने इस बात की आवश्यकता बताई कि सभी देश तत्काल, सतत,...
नेशनल डेस्क: भारत और मालदीव ने वीरवार को सीमापार आतंकवाद समेत दहशतगर्दी के सभी स्वरूपों की पुरजोर निंदा की और सतत तरीके से इस समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की जरूरत बताई। दोनों देशों ने इस बात की आवश्यकता बताई कि सभी देश तत्काल, सतत, सत्यापन योग्य कार्रवाई करें ताकि उनके नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र का इस्तेमाल दूसरों पर आतंकवादी हमलों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाए तथा ऐसे हमलों को अंजाम देने वालों को तेजी से न्याय के कठघरे में लाया जाए।
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दोनों देशों ने आतंकवाद निरोधक कार्रवाई, हिंसक उग्रवाद को रोकने तथा कट्टरपंथ को कम करने पर संयुक्त कार्यसमूह की यहां पहली बैठक में ये बात कहीं। विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप के नेतृत्व में भारतीय पक्ष ने इस बैठक में भाग लिया, वहीं मालदीव के दल का नेतृत्व विदेश सचिव अब्दुल गफूर मोहम्मद ने किया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और मालदीव ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की पुरजोर निंदा की जिसमें सीमापार आतंकवाद शामिल है। उन्होंने सतत और व्यापक तरीके से आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया।
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दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के दायरों में आने वाले आतंकवादी संगठनों की ओर से खतरों पर समीक्षा की। मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि सभी आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून 2019 में मालदीव की राजकीय यात्रा के दौरान जारी संयुक्त बयान का जिक्र करते हुए दोनों पक्षों ने आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद तथा चरमपंथ से क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा को होने वाले गंभीर खतरों को पहचाना। भारत ने ऐसे खतरों से निपटने के लिए मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की सरकार द्वारा अपनाये गये स्पष्ट रुख की सराहना की।