चीन को भारत का संदेश: समुद्री विवाद बातचीत से ही सुलझाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 07:07 PM

india message to china solve maritime dispute

दक्षिण चीन सागर में अपने पड़ोसी  तटीय देशों के खिलाफ चीन द्वारा आक्रामक तेवर के बीच भारत ने कहा है कि सभी प्रादेशिक और समुद्री विवाद अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संधियों के तहत बातचीत से ही हल किये जाएं। हिंद महासागर के तटीय देशों के संगठन (आईओआरए ) के...

नई दिल्ली: दक्षिण चीन सागर में अपने पड़ोसी  तटीय देशों के खिलाफ चीन द्वारा आक्रामक तेवर के बीच भारत ने कहा है कि सभी प्रादेशिक और समुद्री विवाद अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संधियों के तहत बातचीत से ही हल किये जाएं। हिंद महासागर के तटीय देशों के संगठन (आईओआरए ) के विशेषज्ञों की दूसरी बैठक का उद्घाटन करते हुए विदेश सचिव जयशंकर ने कहा कि हम हमेशा ही समुद्री गतिविधियों मेंं संयम बरतने की बात करते रहे हैं। इन गतिविधियों से विवाद और जटिल रूप ले सकते हैं या भड़क सकते हैं जिससे शांति व स्थिरता पर आंच आ सकती है। 

उल्लेखनीय है कि चीन ने दक्षिण चीन सागर के इलाके में एकपक्षीय तौर पर कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर उनपर सैन्य अड्डे बना लिये हैं। विदेश सचिव ने चीन की इन गतिविधियों का सीधा जिक्र नहीं किया लेकिन उनका इशारा साफ था। विदेश सचिव ने कहा कि इस बारे मेंं हमारा रिकार्ड सबको पता है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश और भारत के समुद्र तटों के बीच एक द्वीप को लेकर पैदा विवाद को भारत ने बातचीत से सुलझाया है। 

हिंद महासागर तटीय संगठन अहम मंच
विदेश सचिव ने कहा कि हिंद महासागर के इलाके में शांति व स्थिरता बनाए रखने में हिंद महासागर तटीय संगठन (आईओआरए) अहम भूमिका निभाने वाला एक मंच है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा चुनौतियां सीमाओं का आदर नहीं करतीं । इनसे क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावी साझेदारी से ही निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो इस इलाके में रह रहे हैं उनकी यह जिम्मेदारी है कि शांति, स्थिरता और सुरक्षा व समृद्धि के लिये योगदान करें। तटीय देशों की यह बैठक अगले सप्ताह आसियान देशों की शिखर बैठक के पहले काफी अहम है। इस बैठक के जरिये विदेश सचिव ने परोक्ष तौर पर चीन को भी संदेश दिया है। 

भारत पड़ोसी देशों के साथ बनाएगा तालमेल
बैठक में विदेश सचिव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सागर ( सभी के लिये सुरक्षा एवं विकास ) की अवधारणा का जिक्र किया जिसके तहत मुख्य भूमि और द्वीपों की रक्षा की जा सकती है और आर्थिक सहयोग गहरा किया जा सकता है। विदेश सचिव ने कहा कि हिंद महासागर के इलाके में सुरक्षा चुनौतियों के आर्थिक आयाम ने क्षेत्र के देशों की नौसैनिक और राष्ट्रीय रणनीति की व्याख्या की है। विदेश सचिव ने बताया कि अपने इलाके के समुद्र तटीय देशों के साथ भारत अपने कुल व्यापार का 40 प्रतिशत करता है इसलिये इस इलाके में सुरक्षा व स्थिरता का माहौल बनाए रखने के लिये भारत समान विचार वाले देशों के साथ तालमेल बनाए रखता है।

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