Edited By Tanuja,Updated: 01 Aug, 2022 02:16 PM
इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को मार्क करने के लिए मुंबई में रविवार को चाबहार दिवस मनाया गया। चाबहार बंदरगाह...
इंटरनेशनल डेस्क: इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को मार्क करने के लिए मुंबई में रविवार को चाबहार दिवस मनाया गया। चाबहार बंदरगाह भारत को सेंट्रल एशिया और यूरोप के मार्केट से जोड़ता है। समारोह में ईरान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाखिस्तान सहित अफगानिस्तान के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने समारोह कहा कि ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह का अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के साथ जुड़ाव होने से मध्य एशियाई देशों के साथ संपर्क सुविधा बढ़ेगी जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और सांस्कृतिक एवं राजनीतिक संबंध भी मजबूत होंगे।
अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) भारत की संकल्पना है और इस पहल का उद्देश्य आयात-निर्यात के रूस और यूरोप तक पहुंचने और मध्य एशियाई बाजारों में प्रवेश में लगने वाले समय को कम करना है। चाबहार बंदरगाह को भारत की मदद से ही विकसित किया गया है और यह मध्य एशिया में वाणिज्यिक आवागमन का केंद्र है। भारत ईरान सरकार के साथ मिलकर चाबहार बंदरगाह में एक टर्मिनल के विकास में भी मदद दे रहा है।
चाबहार और INSTC के बीच संपर्क जोड़कर मध्य एशियाई बाजारों को जोड़ने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए मनाए जाने वाले ‘चाबहार दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम में सोनोवाल ने कहा, ‘‘यह संपर्क मध्य एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी को तो बढ़ाएगा ही, इससे निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा और हमारे सांस्कृतिक एवं राजनीतिक संबंध और मजबूत होंगे।’’ सोनोवाल ने कहा कि मध्य एशियाई बाजार की संभावनाओं को देखते हुए भारत की अगुवाई में कनेक्टविटी की जो पहलें हो रही हैं उससे मध्य एशियाई देशों को हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षित एवं वाणिज्यिक रूप से समक्ष पहुंच मिलेगी।
सोनवाल ने कहा कि भारत चाबहार के शहिद बेहश्ती पोर्ट को एक ट्रांजिट हब बनाना चाहता है तथा इसको सेंट्रल एशियाई देशों तक पहुंचने के लिए INSTC से भी जोड़ना चाहता है। समारोह के दौरान सेंट्रल एशियाई देशों के प्रतिनिधियों ने बताया कि चाबहार के INSTC से लिंक हो जाने पर उनके इलाके में ट्रेड को बढ़ावा मिल सकता है तथा इससे लैंड-लाक वाले देशों में विकास के नए मौके खुल सकते हैं।