Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Jun, 2018 03:56 PM
भारत अपने इतिहास में सबसे खराब जल संकट के दौर से गुजर रहा है। इसके 600 मिलियन लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। यह संकट और बढ़ेगा क्योंकि 2030 तक आपूर्ति के मुकाबले में मांग दोगुना बढ़ जाएगी। नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि 2030 तक...
नेशनल डेस्कः भारत अपने इतिहास में सबसे खराब जल संकट के दौर से गुजर रहा है। इसके 600 मिलियन लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। यह संकट और बढ़ेगा क्योंकि 2030 तक आपूर्ति के मुकाबले में मांग दोगुना बढ़ जाएगी। नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि 2030 तक देश की 40 प्रतिशत जनसंख्या के पास पानी की कोई व्यवस्था नहीं होगी, वहीं नई दिल्ली, चेन्नई और हैदराबाद जैसे 21 शहरों में 2020 तक ग्राऊंड वाटर खत्म हो जाएगा। इसकी वजह से 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे।
नीति आयोग ने आज ‘समग्र जल प्रबंधन सूचकांक’ जारी किया है, जिसमें गुजरात सबसे ऊपर है। वहीं झारखंड सूची में सबसे निचले पायदान पर है। यह सूचकांक 9 व्यापक क्षेत्रों में भूमिगत, जल निकायों के स्तर में सुधार, सिंचाई, कृषि गतिविधियां, पेयजल नीति और संचालन व्यवस्था समेत कुल 28 विभिन्न संकेतकों के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 75 प्रतिशत घरों में पीने के पानी का संकट है वहीं 70 प्रतिशत पानी प्रदूषित है। 84 प्रतिशत ग्रामीण घरों में पाइप के जरिए पानी की सप्लाई नहीं है।
विश्व के हर 4 में से 1 शहर में जल संकट
दुनिया के 500 बड़े शहरों में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि हर 4 में से 1 शहर पानी की समस्या से जूझ रहा है। जल विशेषज्ञों का मानना है कि इसके 3 प्रमुख कारण हैं, जलवायु परिवर्तन, बेतरतीब विकास और जनसंख्या में भारी वृद्धि लेकिन हमारी सरकारें और समाज अभी तक इसको लेकर सजग नहीं है। हाल के सर्वे में पाया गया कि जल्द ही देश का बेंगलुरु शहर ऐसे ही संकट का सामना करने जा रहा है। बेंगलुरु एक तरह से देश की तकनीकी राजधानी है। दुर्भाग्य यह है कि जिस राज्य की राजधानी जल संकट की चपेट में है, उसे दूर करने के क्या उपाय होने चाहिएं उसका खाका कोई दल पेश नहीं कर रहा है।