कोरोना वायरस: इटली के रास्ते पर भारत ,मौत का आंकड़ा और संक्रमण की रफ्तार एक जैसी

Edited By shukdev,Updated: 09 Apr, 2020 09:52 PM

india on the way to italy death toll and speed of infection are same

दुनिया भर में कोराना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोना की सबसे खौफनाक तस्वीर यूरोपीय देशों में देखने को मिल रही है। इटली में अबतक 17,669 कोरोना संक्रमण से मर चुके हैं तथा 95,262 लोग संक्रमित हैं। वहीं, भारत की बात करें तो स्वास्थ्य...

नई दिल्ली: दुनिया भर में कोराना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोना की सबसे खौफनाक तस्वीर यूरोपीय देशों में देखने को मिल रही है। इटली में अबतक 17,669 कोरोना संक्रमण से मर चुके हैं तथा 95,262 लोग संक्रमित हैं। वहीं, भारत की बात करें तो स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में अबतक मौत का आंकड़ा 166 हो चुका है और संक्रमितों की संख्या बुधवार को बढ़कर  5734 हो गई है।

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कोरोना वर्ल्ड मीटर की बात करें तो भारत में जिस रफ्तार से मामले सामने आए हैं इससे लगता है कि भारत में भी हालात इटली की राह पर हैं बस समय के मामले में भारत एक महीने पीछे है। वर्ल्ड मीटर के आंकड़ों के मुताबिक मार्च में इटली के आंकड़े देखें तो एक मार्च को यहां कोरोना के 1577 मामले थे और 41 लोगों की इससे मौत हो चुकी थी। छह अप्रैल को भारत में कोरोना वायरस के मामले देखें तो भारत में कोरोना वायरस के 4778 सामने आ चुके हैं और 136 लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में 6 मार्च के आंकड़े देखें तो इस वक्त तक इटली में 4636 मामले सामने आए थे और 197 लोगों की मौत हुई थी।

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भारत में कोरोना वायरस के संक्रमितों की रोज की संख्या और इससे मरने वालों की संख्या इटली से मिलती जुलती है। इटली में एक मार्च को 573 केस आए थे और 12 लोगों की मौत हुई थी। जबकि भारत में एक अप्रैल को 601 मामले सामने आए थे और 23 लोगों की मौत हो गई थी। दोनों देशों की मृत्यु दर भी लगभग एक जैसी ही है। भारत में 1 अप्रैल को 58 लोगों की मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई थी। जबकि, इटली में 1 मार्च को 41 लोगों की मौत हुई थी। दोनों देशों के आंकड़ों में समानताएं ज्यादा हैं। संख्या थोड़ी अलग जरूरी है। लेकिन बीमारी की तीव्रता लगभग बराबर है।

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भारत में संक्रमण के मामले कम होने का एक कारण यह भी है कि यहां लोगों की स्क्रीनिंग और संपैल टेस्ट पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाए हैं। भारत की एक लाख की आबादी पर महज 6.5 लोगों का ही टेस्ट हो पाया है। अन्य देशों में ऐसा नहीं है। चीन में मार्च के अंत तक कुल 3.20 लाख लोगों ने टेस्ट किया है। वहीं जापान ने एक लाख लोगों में  257 लोगों का टेस्ट किया है और अमेरिका में यह आंकड़ा 447 है।  

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