पाकिस्तान के सामने अभिनंदन की रिहाई के अलावा कोई दूसरा चारा ही नहीं था

Edited By Anil dev,Updated: 04 Mar, 2019 11:40 AM

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भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे वर्तमान तनाव के दौर में पड़ोसी देश द्वारा विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को छोड़ा जाना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इस घटनाक्रम को लेकर सैन्य कानूनों पर विभिन्न पुस्तकों के लेखक एवं सेना की विधि शाखा के प्रमुख रह चुके मेजर...

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे वर्तमान तनाव के दौर में पड़ोसी देश द्वारा विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को छोड़ा जाना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। इस घटनाक्रम को लेकर सैन्य कानूनों पर विभिन्न पुस्तकों के लेखक एवं सेना की विधि शाखा के प्रमुख रह चुके मेजर जनरल नीलेन्द्र कुमार से की गई पीटाआई/भाषा की बातचीत में कई तथ्यों का खुलासा हुआ है:-

1. विंग कमांडर अभिनंदन को भारत को सौंप देने के घटनाक्रम से दोनों देशों के बीच चल रहे वर्तमान तनाव के दौर को कम में कितनी सहायता मिलेगी 
भारत ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि हमारे पायलट को छोडऩे के मामले में न तो कोई सौदेबाजी होगी और न ही कोई पूर्व शर्त रखी जाएगी । इस घटनाक्रम तथा सीमा पर पाकिस्तान द्वारा पिछले कई दिन से की जा रही गोलाबारी को ध्यान में रखते हुए भारत को इस मामले में कोई नरमी नहीं बरतनी चाहिए। मेरा मानना है कि दोनों देशों के बीच यह तनातनी अभी कुछ और समय तक बनी रहेगी। 

2. भारत ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों पर प्रहार करने का यह जो नया रुख अपनाया है, क्या अभिनंदन को छोडऩे के बाद उसमें कुछ नरमी आएगी?
यही काम अमरीका बहुत पहले कर चुका है। राष्ट्रपति जार्ज बुश ने कहा था कि उनके पास इस बात की पक्की सूचना है कि इराक के पास डब्ल्यूएमडी (व्यापक जनसंहार के हथियार) हैं। यह दूसरी बात है कि बाद में डब्ल्यूएमडी नहीं मिले। अमरीका ने संयुक्त राष्ट्र समझौते के तहत ऐहतियात के तौर पर आत्मरक्षार्थ हमला करने का सिद्धान्त अपनाया। भारत भी पाकिस्तान को इस बारे में बहुत से सबूत दे चुके हैं। बता चुके हैं कि जैश ए मोहम्मद के शिविर वहां हैं। भारत ने भी इसी का इस्तेमाल कर एक मिसाल कायम कर दी है। अब भविष्य में भी भारत यही रुख अपनाता है, तो वह कोई नई बात नहीं होगी।

3. विंग कमांडर अभिनंदन को छोडऩे के पीछे पाकिस्तान पर कौन से दबाव थे?
पहली बात तो पाकिस्तान सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार कर चुका था कि भारतीय पायलट उसके कब्जे में है। फिर भारत ने उनसे अधिकृत रूप से यह मांग की थी कि अभिनंदन को तुरंत छोड़ा जाए। इसके अलावा 1949 की जिनीवा संधि पर भारत एवं पाकिस्तान, दोनों ने हस्ताक्षर किए हैं। यदि पाकिस्तान इसका पालन नहीं करता तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि और खराब हो जाती। पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक स्थिति ऐसी है कि इसमें वह इस तरह का कोई जोखिम नहीं उठा सकता था। साथ ही अभिनंदन को रखने से उसे कोई लाभ नहीं मिलता क्योंकि युद्ध जैसी स्थिति और बिगड़ती।

4. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी शिविरों पर भारत ने जो कार्रवाई की उसके बारे में आप क्या सोचते हैं? 
भारत का कहना है कि उसने जैश ए मोहम्मद के मुख्य प्रशिक्षण केन्द्र के विरूद्ध कार्रवाई की है। यहां उनके प्रशिक्षु, प्रशिक्षक और उनके आका रहते थे। हमने यह कार्रवाई बिल्कुल सटीक ढंग से की। दूसरे शब्दों में कहें कि भारत ने यह सुनिश्चित किया कि आम नागरिक के जानमाल की हानि नहीं हो। 

5. युद्बबंदियों के साथ बर्ताव के मामले में भारत और पाकिस्तान का ट्रैक रिकार्ड कैसा रहा है? 
पाकिस्तान युद्धबंदियों के मामले में पृष्ठभूमि और हरकतें, बहुत अच्छी नहीं कही जा सकतीं। यदि हम सौरभ कालिया, हेमराज जैसे भारतीय सैनिकों का मामला देखें या कुलभूषण जाधव को देखें तो इस मामले में पाकिस्तान का ट्रैक रिकार्ड काला है। इसके विरूद्ध भारत ने 1971 के युद्ध में करीब एक लाख युद्धबंदियों को लौटा दिया था और किसी के साथ कोई बदसलूकी नहीं की गई थी। इस मामले में भी भारत का पलड़ा भारी है। फील्ड मार्शल मानेक शा ने कहा था कि जितने युद्धबंदी हैं, पकड़ते समय सभी का वजन नोट कर लो। उन्हें जब छोड़ा जाए तब भी उनका वजन लिया जाएगा। इससे पता चल जाएगा कि हमने क्या युद्धबंदियों के साथ कोई दुव्र्यवहार किया है। इस तरह भारत ने युद्बबंदियों के साथ जो व्यवहार किया वह तो इतिहास में एक मिसाल बन चुका है। 

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